विजय शंकर

पटना । श्रीमती रीना चौधरी द्वारा लिखित बाल कविता संग्रह मुट्ठी का लोकार्पण किया गया । लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए लेखनाथ मिश्र ने कहा कि शब्द परम्परा भाषा संरक्षण में संवाहक का काम करती है। उन्होंने कहा कि किसी भी भाषा को जीवंत बनाने के लिए बाल कविता की अत्यंत महत्ता है।

प्रो. वंदना कुमारी ने कहा कि यदि मैथिली भाषा में बाल कविताओं का समावेश पाठ्य पुस्तकों में नहीं होगा तो भाषा की स्थिति दिगम्बर की बस्ती में लाउंड्री की स्थापना की तरह हो जाएगी।

आलोचक रमानंद झा रमण ने कहा कि शब्दों से परिचित होकर ही बच्चों में भाषा संस्कार जागृत किया जा सकता है। बाल साहित्यकार श्रीमती सुनीता झा ने कहा कि नयी पीढ़ी बाल कविताओं को लेकर अत्यधिक सजग और क्रियाशील है।

सुरेंद्र शैल ने कहा कि बाल कविताओं की गेयता बच्चों के लिए काफ़ी उपयोगी है। आगत अतिथियों का स्वागत केकेएम बिहार के अध्यक्ष चन्द्रधर मल्लिक ने किया।

मौके पर श्यामानंद चौधरी, प्रो. वीरेन्द्र झा, डॉ. रंगनाथ दिवाकर और संजीव शमा आदि ने अपने विचार रखे। पुस्तक लेखिका रीना चौधरी ने कहा कि गृहणी को छोलनी और कलम में सामंजस्य बिठा कर ही रचना करनी पड़ती है। उन्होंने अपने साहित्य कर्म का संक्षिप्त उल्लेख करते हुए कहा कि देश के किसी भी भाग में मातृभाषा उपेक्षित नहीं है। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. विनय कर्ण द्वारा किया गया।

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *