नवराष्ट्र मीडिया नेशनल ब्यूरो
नई दिल्लीः राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने देश के विभिन्न राज्यों में आतंक को पुनर्जीवित करने के मामले में पांच सीपीआई माओवादियों के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया है।
रांची स्थित विशेष एनआईए न्यायालय में एजेंसी ने (RC-01/2022/NIA-RNC) पांच लोगों के खिलाफ आरोप-पत्र दायर किया है। मामला प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) की ओर से आपराधिक साजिश रचकर अपने हिंसक सोच को झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ व अन्य राज्यों में पुनर्जीवित करने का प्रयास करने से जुड़ा है।
एजेंसी की ओर से किए गए अनुसंधान के मुताबिक सीपीआई (माओवादी) के इन पांच आरोपियों ने हिंसक गतिविधि को अंजाम देने के लिए कैडरों को बहाल किया, फंड जुटाए, हथियार जमा किए, आईईडी बनाने और उसे लगाने के लिए कैडरों को प्रशिक्षित किया। साथ ही इन आरोपियों ने अपनी गतिविधि चलाने व अपने उद्येश्य की सफलता के लिए के लिए जेल में बंद अपने कैडरों से भी संपर्क किया। इन आरोपियों का नेतृत्व करने वाले की पहचान प्रशांत बोस उर्फ किशन दा उर्फ निर्भय उर्फ काजल उर्फ महेश उर्फ किशनजी (माओवादी के पॉलितब्यूरो सदस्य) के रूप में हुई है जो संगठन के पूर्वोत्तर क्षेत्रीय ब्यूरो का प्रभारी के रूप में काम कर रहा था। इसे पिछले 10 अगस्त 2023 को गिरफ्तार किया गया था। इसके खिलाफ झारखंड के थानों में 47 मामले दर्ज हैं।
एक दूसरा आरोपित अभियुक्त की पहचान नूनूचंद महतों उर्फ नूनूलाल महतों उर्फ लखन उर्फ टाईगर उर्फ मुखिया जी उर्फ नेताजी के रूप में हुई है जो सीपीआई (माओवादी) का क्षेत्रीय उप-कमांडर है जिसके खिलाफ झारखंड में 60 मामले दर्ज हैं। प्रशांत बोस के साथ इसे भी गिरफ्तार किया गया था। साथ ही दो अन्य आरोपी जिनका नाम दुर्योधन प्रसाद महतों उर्फ मिथलेश सिंह उर्फ अवधेश उर्फ बड़का दा उर्फ बड़ा बाबू जो संगठन क्षेत्रीय कमिटी का सदस्य है और उसके खिलाफ 77 मामले दर्ज हैं। एक अन्य आरोपी कृष्ण हंसदा उर्फ सौरव दा उर्फ अविनाश है जो सीपीआई (माओवादी) क्षेत्रीय कमिटी का सदस्य है और क्षेत्रीय कमिटी का उप-कमांडर है। उसके खिलाफ 37 मामले दर्ज हैं। वहीं पांचवां आरोपी प्रमोद मिश्र उर्फ बनबिहारी जी उर्फ नेताजी उर्फ सोहन दा उर्फ डाक्टर साहब उर्फ बीबी जी उर्फ बाबा जी उर्फ जनार्दन उर्फ जोनाथन है। प्रमोद मिश्रा सीपीआई (माओवादी) का पोलित ब्यूरो सदस्य है और उत्तर क्षेत्रीय ब्यूरो का प्रमुख है। उसे सितंबर 2023 के दौरान गिरफ्तार किया गया था और उसके खिलाफ बिहार व झारखंड में 47 मामले दर्ज हैं।
सभी आरोपियों के खिलाफ यूएपीए की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। एनआईए ने केस पंजीकृत करने के बाद कई जगहों पर छापेमारी भी की। इस दौरान कई सबूत जानकारी में आए जो उनकी साजिश के तथ्य को उजागर करती है।