नवराष्ट्र मीडिया ब्यूरो
पटना।जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री राजीव रंजन ने आज कहा है कि लोकसभा चुनाव के बीतते ही आरक्षण को खतरे में बताने वाले तमाम परिवारवादी दल चुप्पी साध कर बैठ गये हैं। यह वही लोग हैं जिन्होंने अपने राज में किसी को आरक्षण नहीं दिया, लेकिन हर चुनाव में यह आरक्षण के नाम पर छाती पीटते नजर आते हैं। हकीकत में यह भी जानते हैं कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में आरक्षण को जितनी मजबूती मिली है वह पहले कभी नहीं मिली थी। उन्हीं के कारण आज बिहार पूरे देश में सर्वाधिक आरक्षण देने वाला राज्य बन चुका है। आज राज्य में दलित,पिछड़े-अतिपिछड़े के साथ सामान्य वर्ग के गरीबों समेत सभी वर्गों को आरक्षण का लाभ मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि वास्तव में श्रद्धेय कर्पूरी ठाकुर जी पहले राजनेता थे जिन्होंने पिछड़ा-अतिपिछड़ा समाज के आरक्षण की नींव रखी थी। श्री नीतीश कुमार ने उनके आरक्षण को बढ़ाकर उसी नींव पर के बुलंद इमारत खड़ी कर दी है। कर्पूरी जी से पहले केवल दलित समाज को आरक्षण की सुविधा प्राप्त थी। पिछड़े-अतिपिछड़ी जातियों को कोई पूछता तक नहीं था। कर्पूरी जी ने पहले नेता थे जिन्होंने पिछड़े-अतिपिछड़े समाज की सुध ली और उन्हें क्रमशः 8 व 12 प्रतिशत का आरक्षण दिया। इसके कई दशक बाद श्री नीतीश कुमार पहले राजनेता हुए जिन्होंने गरीबों के तेज विकास के लिए पहल करते हुए पिछड़े-अतिपिछड़े समाज के आरक्षण को बढ़ाकर क्रमशः 12 व 18 प्रतिशत कर दिया।
उन्होंने कहा कि अब जातिगत गणना करवा कर नीतीश सरकार ने इसे और बढ़ाते हुए पिछड़ा समाज के आरक्षण को 18 व अतिपिछड़ा समाज के आरक्षण को 25 प्रतिशत कर दिया है। इसी तरह दलितों को मिल रहे 15ः आरक्षण को भी बढ़ाकर पहले 16ः किया गया और अब जातिगत गणना के बाद इसे 20ः करने का निर्णय ले लिया गया। नीतीश सरकार के कारण ही आज बिहार में आरक्षण की सीमा 75ः हो चुकी है।
उन्होंने कहा कि आरक्षण बढने से गरीबों-पिछड़ों का सशक्तिकरण और तेज हुआ है। उनकी जागरूकता बढ़ी है। यही वजह है कि अब वह परिवारवादियों के झांसे में नहीं आते हैं। इसी कारण आरक्षण पर सीना ठोक कर झूठ बोलने के बावजूद इस चुनाव में राजद-कांग्रेस मिलकर भी दहाई की संख्या पार नहीं पाए।