विजय शंकर
पटना : पटना जनता दल यूनाइटेड के प्रवक्ता डाॅ0 रणबीर नंदन और डाॅ0 सुहेली मेहता ने बुधवार को वर्चुअल माध्यम से शिक्षा के विकास पर चर्चा की। इस दौरान दोनों ने कहा प्रदेश में शिक्षा के स्तर को उठाने में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने काफी काम किया है। मानव संसाधन विकास को हमारी सरकार प्राथमिकता देती है, इसलिए सबसे अधिक जोर इसी पर है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में कुल बजट का 17 फीसदी हिस्सा शिक्षा पर खर्च किया जाएगा। शिक्षा विभाग के लिए बजट में 38,035.93 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। 2005 में जब नीतीश कुमार सत्ता में आए थे तो उस समय राज्य का कुल बजट 23,885 करोड़ रुपए था। 16 साल बाद बिहार का शिक्षा बजट तब के कुल बजट का डेढ़ गुना से अधिक हो चुका है। राज्य सरकार 2035 तक उच्च शिक्षा के लिए 50 फीसदी के ग्राॅंस इनराॅलमेंट रेशियो के लक्ष्य पर काम कर रही है। इसके लिए उच्च शिक्षा के संस्थानों को तैयार भी किया जा रहा है। तीन नए विश्वविद्यालयों के बाद अब नए संस्थानों को खोलने की तैयारी की जा रही है।
प्रवक्ताद्वय ने वर्चुअल माध्यम से संवाद में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे बदलाव की चर्चा की। उन्होंने कहा कि काॅलेजों में 4638 असिस्टेंट प्रोफेसर के नियुक्ति की प्रक्रिया जारी है। आवेदन हो चुके हैं और अब इंटरव्यू के बाद सबकी नियुक्ति हो जाएगी। यह 15 जुलाई से ही शुरू हो रहा है। इससे काॅलेज व विश्वविद्यालय स्तर पर शिक्षकों की कमी की समस्या को दूर कर दिया जाएगा। प्राथमिक से उच्च स्तर तक माहौल को विकसित किया जा रहा है। प्रदेश में 2005 में 100 में से 13 बच्चे स्कूल का मुंह नहीं देख पाते थे। 50 फीसदी से अधिक ड्राॅप रेशियो था। वर्तमान समय में 0.5 फीसदी से भी कम स्कूल से बाहर बच्चे हैं। हर गांव में प्रारंभिक विद्यालय की व्यवस्था है। 8387 हाईस्कूल आज के समय में राज्य में बच्चों की शिक्षा के कार्य में लगे हुए हैं। 4.25 लाख से अधिक शिक्षक पहली से 12वीं तक की शिक्षा देने का कार्य कर रहे हैं। 93 हजार से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया प्रदेश में चल रही है।
प्रवक्ताद्वय ने कहा कि यह सब हुआ है नीतीश कुमार सरकार की दूरदर्शी सोच के कारण। सरकार सात निश्चय पार्ट टू के तहत शिक्षा में क्रांतिकारी बदलाव को अगले पड़ाव तक ले जाने की तैयारी कर रही है। इसके तहत प्रदेश के सभी आईटीआई व पाॅलिटेक्निक संस्थानों को आधुनिक बनाने का कार्यक्रम तैयार किया गया है। उन्हें सेंटर आॅफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित करने की योजना है। इसके अलावा युवाओं को हुनरमंद बनाने के लिए हर जिले में एक मेगा स्किल सेंटर खोला जाएगा। ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को उच्च तकनीक वाले आधुनिक यंत्रों व टूल की जानकारी के लिए हर प्रमंडल में टूल रूम की स्थापना का निर्णय लिया गया है। वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षी योजना सात निश्चय पार्ट-2 के लिए 4671 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। स्वरोजगार के लिए युवाओं को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने वित्तीय मदद देने का फैसला किया है। सरकार ने तय किया है कि युवाओं को पांच लाख रुपए तक का लोन एक फीसदी ब्याज पर दिया जाएगा। इसके साथ ही अधिकतम 5 लाख रुपए तक का कर्ज ब्याज मुक्त होगा।
दोनों प्रवक्ता ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में इस साल सरकार ने कई लक्ष्य सामने रखे हैं। शत-प्रतिशत साक्षरता व माध्यमिक शिक्षा से सबको जोड़ने की योजना को वर्ष 2030 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। यूपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा को पास करने पर छात्रों को एक लाख और बीपीएससी की पीटी पास करने वालों को 50 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। बालिकाओं की शिक्षा के लिए माननीय मुख्यमंत्री ने 2007 में साइकिल योजना की शुरुआत की थी। इसका असर माध्यमिक व उच्चतर माध्यमिक स्तर पर बालिकाओं व बालकों के बीच गैप को खत्म करने के रूप में सामने दिख रहा है। बिहार बोर्ड 10वीं की परीक्षा में इस बार 16,54,171 विद्यार्थी शामिल हुए। 8,29,271 छात्र और 8,24,893 छात्राओं ने परीक्षा दी। लगभग दोनों की संख्या बराबर रही। इनमें से कुल 12,93,054 विद्यार्थी पास हुए। उत्तीर्ण छात्रों की संख्या 6,76,518 और उत्तीर्ण छात्राओं की संख्या 6,16,536 रही।
प्रवक्ताद्वय ने कहा कि उच्चतर शिक्षा में लड़कियों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने इंटर पास करने वाली अविवाहित छात्राओं को अब 10 हजार की जगह 25 हजार और स्नातक पास करने वाली छात्राओं को अब 25 हजार की जगह 50 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि देने का निर्णय लिया है। बच्चियों के प्रोत्साहहन व शिक्षा से जोड़ने के अभियान ने सामाजिक परिवर्तन को भी हवा दी। आप देखेंगे कि 21वीं सदी की शुरुआत में हमारा बिहार प्रजनन दर के मामले में 4 फीसदी के करीब था। केवल बालिकाओं की शिक्षा के जरिए ही वर्ष 2011 में 3.6 था जो अब घटकर करीब 2.7 रह गया है। इसे हमारी सरकार जागरूकता से 2.1 तक लाने की तैयारी कर रही है। बिना सख्त कानून बनाए भी ऐसा किया जा सकता है, यह नीतीश सरकार ने करके दिखाया है।
