विजय शंकर
पटना : जनता दल (यू0) के प्रदेश प्रवक्ता श्री अरविन्द निषाद ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के शराबबंदी पर 15 सवाल का जवाब देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने संकल्प शक्ति से महिलाओं की मांग पर बिहार में शराबबंदी पर पूरे देश में नजीर पेश किया है। शराबबंदी के बाद राज्य के माहौल में आमूलचूल परिवर्तन हुआ है। गांव के चैक चैराहे, बाजार शांतिमय वातावरण में खुला रहता है। शराबबंदी से राज्य में पारिवारिक कलह न के बराबर हो रहा हैं। पारिवारिक आय में भारी वृद्धि हुई है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव शराबबंदी पर सवाल खड़ाकर महिला विरोधी आचरण प्रस्तुत कर रहे है।
श्री निषाद ने कहा कि शराबबंदी से प्रत्येक वर्ष हजारों लोगों की जान बिहार में बच रही है। वर्ष 2017 से बिहार में शराब पीकर सड़क दुर्घटना का मामला शुन्य हो गया है। 2017 से 2021 तक शराब के नशे में ड्राइव करने के कारण हुई सड़क दुर्घटना में मौत का एक भी मामला नहीं आया है। जबकि 2010 से लेकर 2014 तक 5 वर्षों में शराब के नशे में हुई सड़क दुर्घटना से बिहार में 7304 लोगों की मौत हुई थी। केन्द्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय के रिर्पोट के अनुसार बिहार में नेशनल हाईवे पर शराब पीकर गाड़ी चलाने का एक भी दुर्घटना का मामला सामने नहीं आया है। जबकि महाराष्ट्र में नेशनल हाईवे पर 258 एवं झारखंड में 686 लोगों की जान चली गई।
शराबबंदी के 5 वर्षो के दरम्यान बिहार सरकार ने बड़े पैमाने पर शराबबंदी के नियमों के उलंघन में एक्शन करते हुए शराब पीने और बेचने वालों पर 3 करोड़ रूपया का लगभग जुर्माना लगाया गया। 2 लाख 55 हजार 111 मामले दर्ज किये गये। 3 लाख 39 हजार 401 लोगों की गिरफ्तारी हुई। 51.7 लाख लीटर देशी श्राब जब्त की गई। 94.9 लाख लीटर विदेशी शराब जब्त की गई। 470 अभियुक्तों को कोर्ट से सजा मिली। 619 पुलिस कर्मियों पर विभागीय कार्यवाई हुई। 60 पुलिस पदाधिकारी थानाध्यक्ष पद से हटाए गये। 384 बिहार सरकार के कर्मचारियों पर प्राथमिकी दर्ज की गई। 186 लोगों को सेवा से बर्खास्त किये गये। 284 निजी भवनों एवं भूखंडों को सिल किया गया। 59 व्यवसायिक भवनों पर ताला लगाया गया।
श्री निषाद ने कहा कि शराबबंदी के बाद शराब तस्करी के मामले में पुलिस अभियान में पकड़े गए लोगों में सबसे ज्यादा राष्ट्रीय जनता दल के पदधारक है।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम कानून 1988 में बना फिर भी बिहार में 1990 के दशक में राज्य के खजाने से हजारों करोड़ रूपय चारा घोटाला के रूप में पैसा निकले। चारा घोटाला में राज्य के दों भूर्तपूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव एवं डाॅ0 जगरनाथ मिश्र को कोर्ट से सजा मिली। क्या भ्रष्टाचार निवारण कानून की समीक्षा कर कानून को ख्त्म कर दिया जाए?