Vijay shankar
Patna । जदयू के भीम संसद को फ्लॉप शो बताते हुए पूर्व विधान पार्षद व वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ. रणबीर नंदन ने कहा कि जदयू को दलितों से कोई मतलब ही नहीं रह गया है। उनके नेताओं को राजद प्रेम का ऐसा चस्का चढ़ा है कि उन्हें न बिहार याद है और न ही विकास। जदयू का भीम संसद को पूरी तरह फ्लॉप रहा। जदयू के नेताओं ने धनपशुओं की सहायता से कार्तिक पूर्णिमा के शुभ अवसर पर गंगा स्नान के लिए पटना आए श्रद्धालुओं को वेटनरी कॉलेज ग्राउंड पहुंचाया और भीड़ दिखाने की कोशिश की। लेकिन इसमें भी वे सफल नहीं हो पाए। क्योंकि उत्तर बिहार के जिलों से तो लोग आए ही नहीं क्योंकि कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान के लिए गंगा उधर उपलब्ध है। मध्य बिहार के उन्हीं जिलों के लोगों को बुलाने में जदयू के नेता थोड़ा सफल हो सके, जहां गंगा नहीं है। इसके लिए जदयू ने टोला सेवकों, शिक्षा उत्प्रेरकों को आदेशित करने के अलावा सरकारी मशीनरी का भी पूरा दुरुपयोग करने का प्रयास किया गया है।
डॉ. नंदन ने कहा कि जदयू ने दलितों का भला करने की आड़ में दलितों को बांटने की कोशिश की है। आज नीतीश कुमार की पार्टी के नकली दलित नेता भीम संसद का आयोजन करने का दिखावा कर रहे हैं जबकि दलितों के उद्धार की आड़ लेकर दलितों को महादलित और दलित में बांट दिया। बांटने का विरोध नहीं है लेकिन यह भी तो बताएं कि महादलित को आगे बढ़ाने के लिए जदयू ने आखिर किया क्या?
उन्होंने कहा कि आज दलितों सम्मान की बात करने की बात करने का दिखावा कर रहे हैं। लेकिन जदयू के नेता तब कहां थे, जब रामविलास पासवान के साथ छल किया गया। जदयू के नेता तब क्यों नहीं दलित के सम्मान में बोले जब जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा। तब जदयू के नेता क्यों नहीं बोले जब उदय नारायण चौधरी को पार्टी से खदेड़ दिया गया। पासवान, मुसहर और पासी जाति के इन नेताओं को आगे बढ़ने से रोकने की घटना नई नहीं है। बिहार की राजनीति में जब भी कोई दलित नेता आगे बढ़ने का प्रयास करता है, जदयू के कुछ नेताओं की टोली नीतीश कुमार को भी किनारे लगाकर उसके खिलाफ षड्यंत्र करने लगती है।
डॉ. नंदन ने कहा कि भीम संसद पहले नवंबर के पहले सप्ताह में ही किया जाना था। लेकिन जदयू के नकली दलित नेताओं को अंदाजा हो गया कि भीड़ उनके नाम पर तो नहीं आएगी। इसलिए जानबूझकर कार्तिक पूर्णिमा के एक दिन पहले का दिन चुना गया ताकि भीड़ को गंगा स्नान और सोनपुर मेला ले जाने का छलावा देकर लाया जाए। लेकिन जदयू के नेताओं को यह बताना चाहिए कि बसों में भर कर गंगा स्नान के बहाने लाई भीड़ के लिए राशन की व्यवस्था भी की गई है या उन्हें सूखे मुंह गंगा जी के भरोसे छोड़ दिया गया है।