जदयू के तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ
- विधानसभा चुनाव का परिणाम हमारे लिए चुनौती है और इस चुनौती को हमें अवसर में बदलना है। – उमेश कुशवाहा
- श्री नीतीश कुमार के काम का कोई दूसरा विकल्प है ही नहीं। आज हम यह सोच भी नहीं सकते कि 2005 से 2021 तक श्री नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री नहीं होते तो क्या होता। – हरिवंश
- श्री नीतीश कुमार ने समाजवादी मूल्यों को व्यावहारिक समाजवाद का विस्तार देकर न्याय के साथ विकास का विश्वसनीय एवं टिकाऊ आधार-स्तंभ बनाया है। – प्रो. रामवचन राय
विजय शंकर
पटना । जदयू मुख्यालय स्थित कर्पूरी सभागार में पार्टी के तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आज भव्य शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम के उद्घाटनकर्ता राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री आरसीपी सिंह एवं मुख्य अतिथि राज्यसभा के उपसभापति श्री हरिवंश नारायण सिंह थे। वहीं, कार्यक्रम की अध्यक्षता जदयू प्रशिक्षण प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष श्री सुनील कुमार ने की, जबकि प्रदेश अध्यक्ष श्री उमेश सिंह कुशवाहा, पूर्व मंत्री श्री मंगनीलाल मंडल, पूर्व विधानपार्षद प्रो. रामवचन राय, श्री संजय कुमार सिंह उर्फ गांधीजी, श्री ललन सर्राफ, मुख्य प्रवक्ता श्री संजय सिंह, राष्ट्रीय सचिव श्री रवीन्द्र सिंह, प्रदेश महासचिव डॉ. नवीन कुमार आर्य, अनिल कुमार, जदयू मीडिया सेल के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अमरदीप, क्षेत्रीय प्रभारी श्री चंदन कुमार सिंह, श्री परमहंस कुमार, डॉ. विपिन यादव, श्री कामाख्या नारायण सिंह, श्री अरुण कुशवाहा, श्री आसिफ कमाल, श्री रामगुलाम राम एवं श्री मृत्युंजय कुमार सिंह मुख्य रूप से उपस्थित रहे।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के पहले दिन प्रो. रामवचन राय एवं श्री हरिवंश नारायण सिंह ने ‘व्यावहारिक समाजवाद’, मोटिवेशनल स्पीकर श्री नेयाज अहमद ने ‘आन्तरिक बदलाव’, गांधी स्मृति दर्शन समिति के श्री अतुल प्रियदर्शी ने ‘अहिंसात्मक संचार’ तथा प्रशिक्षण प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष श्री सुनील कुमार ने ‘नेतृत्व विकास’ विषय पर प्रशिक्षण दिया।
इस मौके पर अपने संबोधन में राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री आरसीपी सिंह ने कहा कि वही पार्टी जीवंत होती है, जिसका आधार विचार होता है। हमारी कोशिश है कि हर कार्यकर्ता जदयू की विचारधारा से जुड़ी एक-एक चीज को समझे। उसे पता हो कि कैसे हमारी पार्टी बाकी पार्टियों से भिन्न है और कैसे हमारे नेता श्री नीतीश कुमार नेताओं में सर्वश्रेष्ठ हैं। उन्होंने कहा कि समाजवाद का
इतिहास बहुत पुराना है। समाजवादी संघर्ष तो ज्यादा करते थे, लेकिन संगठन नहीं बना पाते थे। श्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में हम यह मिथक तोड़ने की ओर अग्रसर हैं। आज न केवल 16 वर्षों से वे बिहार की बागडोर संभाल रहे हैं, बल्कि आज हमारा संगठन भी हर एक बूथ पर है। ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से हमें अपने संगठन को और मजबूती देना है।
श्री आरसीपी सिंह ने कहा कि हमें समाज में समता भी लानी है, सम्पन्नता भी लानी है, लेकिन बिना हिंसक रास्ते के। समाजवाद में किसी भी तरह की हिंसा का कोई स्थान नहीं। असामाजिक तत्वों को हमें हर हाल में हतोत्साहित करना है। परिवर्तन का लाभ समाज के सबसे निचले तबके को मिले, मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने गांधी, जेपी, लोहिया, अंबेडकर और कर्पूरी के आदर्शों के अनुरूप इस विचार को व्यवहार में उतारकर दिखाया, यही व्यावहारिक समाजवाद है।
प्रदेश अध्यक्ष श्री उमेश सिंह कुशवाहा ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि विधानसभा चुनाव एवं सरकार के गठन के बाद इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन इसलिए किया गया है कि हमें अपने कार्यकर्ताओं में नए सिरे से ऊर्जा का संचार करना है और उन्हें विचारों की ताकत देनी है। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं में उत्साह का बोध कराना जरूरी है। विधानसभा चुनाव का परिणाम हमारे लिए चुनौती है और इस चुनौती को हमें अवसर में बदलना है।
श्री हरिवंश नारायण सिंह ने अपने व्यावहारिक समाजवाद पर अपने संबोधन में कहा कि एक राज्य का मुख्यमंत्री रहते हुए भी पूरे देश में श्री नीतीश कुमार की पहचान बनी और उनका काम नजीर बना। लोग सोचते तो हैं लेकिन रोडमैप नहीं बना पाते। श्री नीतीश कुमार ने जो सोचा उसका रोडमैप भी लेकर आए। अपने विचारों को उन्होंने जिस तरह व्यवहार में उतारा और बिहार का अविश्वसनीय विकास किया, व्यावहारिक समाजवाद का उससे अच्छा कोई उदाहरण नहीं हो सकता। गांधी के सच्चे अनुयायी की तरह उनका काम ही बोलता है, बात नहीं। आज उनका अनुसरण अन्य राज्यों के साथ केन्द्र भी कर रहा है। उनके काम का कोई दूसरा विकल्प है ही नहीं। आज हम यह सोच भी नहीं सकते कि 2005 से 2021 तक श्री नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री नहीं होते तो क्या होता।
प्रो. रामवचन राय ने व्यावहारिक समाजवाद पर बोलते हुए कहा कि सेवाभाव, विश्वसनीयता, दूरदर्शिता, योग्यता, कार्य-क्षमता, व्यवहार-पटुता, सौम्यता, सादगी, समन्वयवादिता और त्याग-भावना व्यावहारिक समाजवाद के प्रमुख तत्व हैं। इन मानकों के आधार पर श्री नीतीश कुमार के व्यावहारिक समाजवाद को समझा जा सकता है। उनकी राजनीतिक सफलता की बुनियाद में उनके व्यावहारिक समाजवाद के ये तत्व किसी ना किसी रूप में मौजूद रहे हैं। भारतीय राजनीति में जिस गठबंधन-धर्म की शुरुआत 1967 के दशक में डॉ. लोहिया ने की थी और राष्ट्रीय स्तर पर समाजवादी मूल्यों को विमर्श के केन्द्र में खड़ा किया था उन्हें श्री नीतीश कुमार ने व्यावहारिक समाजवाद का विस्तार देकर न्याय के साथ विकास का विश्वसनीय एवं टिकाऊ आधार-स्तंभ बनाया है।
प्रशिक्षण प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष श्री सुनील कुमार ने नेतृत्व-विकास पर बोलते हुए कहा कि जदयू का हर कार्यकर्ता अपना मूल्यांकन करे कि उसके अंदर कितनी आत्म-प्रेरणा और कितनी कार्य-क्षमता है। इसके बाद वे पार्टी के आधार को मजबूती और विस्तार देने में जुटेंगे तो ज्यादा अच्छा परिणाम हासिल होगा। इस कार्य में उन्हें प्रशिक्षण कार्यक्रम से बहुत लाभ होगा।