अजीत सिन्हा

झारखण्ड, बोकारो। झारखंड के दुमका की बेटी अंकिता को पेट्रोल छिड़क उसे आग के हवाले कर धर्म विशेष के शाहरुख द्वारा कर दिया गया जिस पर आज पूरा देश स्तब्ध है और हत्यारे की फांसी की मांग कर रहा है । लेकिन स्वयं भुक्तभोगी अंकिता जो कि अब इस दुनिया में नहीं रही, द्वारा हत्यारे के लिए वैसी सजा की मांग की है जैसी वह मरने से पूर्व आग की जलन की तडप से मरी है ।

मौत से पूर्व दिये गये स्टेटमेंट से उसकी इच्छित सजा अपराधी के लिए भारतीय कानून इजाजत नहीं देता है । कहने का तात्पर्य यह है कि सजा के तौर पर शाहरुख को जला कर मारा नहीं जा सकता है अपितु अधिकतम सजा अपराधी को भारतीय कानून के मुताबिक फांसी की ही हो सकती है अर्थात् मरणोपरांत भी भुक्तभोगी की इच्छा का भारतीय कानून सम्मान नहीं कर सकता है। चूकी अपराधी धर्म विशेष का है और उस धर्म की शरीयत में सजा जैसे को तैसे रूप में है अर्थात् किसी ने किसी की हाथ काट ली हो तो अपराधी के हाथ को भी काट ली जाएगी। किसी ने किसी को जला कर मार डाला है तो अपराधी को भी जला कर मारने की सजा है लेकिन भारत में नृशंस हत्या की सजा फांसी तक ही सीमित है ।

अब यहां पर मंथन यह जरूरी है कि क्या भारतीय कानून के अनुसार शाहरुख जैसे अपराधी को जला कर मार डालने की सजा मुकर्रर होगी? मेरी समझ से बिलकुल नहीं तो फिर भुक्तभोगी की इच्छा का क्या होगा? तो इसके लिए धर्म विशेष के नेतृत्वकर्ता स्वयं भारत की सरकार और माननीय न्यायालय से जैसे को तैसे की सजा की मांग कर सकते हैं लेकिन ऐसा तो वे करेंगे नहीं अपितु उनकी कौम के लोग उल्टे अपराधी को बचाने की भरपूर कोशिश करेंगे और कर भी रहे होंगें अपने वोट जेहाद का सहारा लेकर स्थानीय झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार पर दबाव बनाकर क्योंकि इसी पार्टी के एक महिला सांसद ने अपराधी को खुलेआम विक्षिप्त करार दी राष्ट्रीय चैनल की डिबेट में, जिससे यह साबित होता है राज्य सरकार की मंशा केस को कमजोर कर अपराधी को कम से कम सजा दिलाने की है कहने का तात्पर्य यह है कि मामले की लीपापोती राज्य सरकार द्वारा की जा सकती है लेकिन राज्य की विपक्षी पार्टी भाजपा तो सक्रिय है ही साथ में केंद्र की भाजपा भी। इसलिये मामले की लीपापोती इतनी आसान नहीं होगी और यदि अंकिता के हत्यारे को फांसी की सजा नहीं होती है तो राज्य सरकार अपनी वोट की खातिर अपनी मंशा में सफल दिख पड़ेगी जिसका जवाब भविष्य के गर्भ में छुपी है।

अजीत सिन्हा ने घटना को शर्मनाक करार देकर निंदा की है और साथ में अपराध की गंभीरता को देखते हुए अपराधी के लिए फांसी की सजा की माँग की ताकि ऐसे तत्त्वों पर नकेल कसी जा सके। और साथ में धर्म विशेष के अनुयायियों को चेतावनी दी है कि अपने नवयुवकों को काबू में रखें नहीं तो भविष्य में उन्हें लेने के देने पड़ेंगे क्योंकि जिस सनातन समाज की बेटी की नृशंस हत्या हुई है उस पर समाज चुप नहीं बैठ सकता है और इसका प्रतिकार भी वह बखूबी करना जानता है। कहने का तात्पर्य यह है कि धर्म विशेष के लोगों को अपनी धर्म विशेष की वैसी आयतों पर मंथन की जरूरत है जिस पर चलकर मदरसे छाप विद्यार्थि कट्टरता को पालकर अपराध कर रहे हैं। नहीं तो वह दिन दूर नहीं होगी जब सनातनी समाज भी अपनी कट्टरता की ओर अग्रसर होकर जैसे को तैसे की भाषा में जवाब देने पर मजबूर होगा।

 

अजीत सिन्हा ने कहा कि यदि भारतीय कानून अपराधी के लिए फांसी की सजा मुकर्रर नहीं करती है तो सनातन धर्म के लोग कानून को हाथ में लेने से हिचकेंगे नहीं और कोई न कोई आगे निकल कर आएगा और अपराधी को उसी रूप में सजा देगा जिस रूप में उसने अपराध किया है और बेहतर है कि धर्म विशेष के लोग इस पर सुधि लेकर अपराधी को फांसी की सजा दिलवायें या स्वयं उसी रूप शरीयत कानून के मुताबिक सजा दें जिस तरह से अपराधी ने अपराध किया है।

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