सुबोध,
किशनगंज । प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत देश भर में चलाये जा रहे रिवर रैंचिंग कार्यक्रम में बिहार से एक मात्र किशनगंज जिले का चयन हुआ है।इस जिले की महानंदा नदी में विलुप्त होती मछलियों की प्रजापतियों का विकाश होगा और महानंदा नदी से उत्पादित मतस्य का देश भर में सप्लाई की जाएगी।यहा के मछुआरों के आमदनी में बढौतरी के साथ -साथ देश भर में पहचान भी मिलेगी। इसके साथ-साथ नदी के जल की गुणवत्ता भी सुधरेगी और नदियों की बायोडाइवर्सिटी भी बरकरार रहेगी। इसके अलावा मछलियों का उत्पादन भी बढ़ेगा। इसको लेकर मुजफ्फरपुर के मुतलुपुर स्थित बाबा हैचरी को फिंगर लिंग्स तैयार करने का जिम्मा सौंपा गया है।
जिले की महानंदा नदी में चार से पांच लाख फिंगर लिंग्स छोड़ने लक्ष्य मत्स्य विभाग को मिला है। बीते 2 जुलाई को मत्स्य विभाग के अधिकारी डीडीएफ आभाष चंद्र मंडल, तत्कालीन डीएफओ, एफईओ राजेश रंजन व बाबा हैचरी के निदेशक शिवराज सिंह की मौजूदगी में मौजाबाड़ी स्थित महानंदा नदी से रोहु व कतला के ब्रुडर्स का कलेक्शन किया गया। ब्रुडर्स में अंडा देनेवाली मछली का कलेक्शन किया जाता है। बाबा फिशरीज सह हैचरी के निदेशक शिवराज सिंह का कहना है कि योजना के तहत महानंदा नदी से प्रजनक मछली का संग्रहण कर हैचरी के अलग-अलग तालाबों में संचयन कर आधुनिक तकनीक से प्रजनन कराया जाएगा। इससे उत्पन्न स्पॉन को अलग-अलग नर्सरी तालाबों में एक महीने तक संचयन करने के बाद अंगुलिकाओं (फिंगर लिंग्स) के साइज में हो जाने पर पुन: महानंदा नदी में इसे छोड़ दिया जाएगा। इसके लिए सरकार की ओर से हैचरी मालिक को 6 रुपये प्रति फिंगर लिंग्स अनुदान भी मिलेगा।
इस बाबत किशनगंज के मत्स्य प्रसार पदाधिकारी राजेश रंजन ने बताया कि मछलियों की घटती जनसंख्या से मत्स्यजीवी समुदाय का जीविकोपार्जन भी प्रभावित हुआ है। उनकी स्थिति सुधारने के लिए नेशनल फिशरीज डेवलपमेंट बोर्ड, हैदराबाद के माध्यम से प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत रिवर रैचिंग कार्यक्रम में बिहार से किशनगंज जिले को भी शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि रिवर रैंचिंग कार्यक्रम के क्रियान्वयन से मछुआरों के आर्थिक व सामाजिक उत्थान तथा मत्स्य शिकारमाही पर आश्रित मछुआरों के वार्षिक आय में वृद्धि हो सकेगी। छोटे आकार के मत्स्य बीज को संरक्षण प्रदान किया जाएगा। चार सेंटीमीटर से कम फसाजाल का प्रयोग नहीं किया जाएगा। इन्होंने बताया कि 15 जून से 15 अगस्त तक मछली की ब्रीडिंग का समय होता है। इसलिए इस अवधि में राज्य सरकार द्वारा नदियों में शिकारमाही पर प्रतिबंध लगाया गया है।

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