सुबोध ,
किशनगंज 16 अक्टूबर।बिहार के सीमावर्ती किशनगंज जिला अंतर्गत हिन्दु मंदिर की भूमि दबंगों एवं भूमाफिया के साज़िश का शिकार हो रहा है। एक जानकारी के मुताबिक पूर्व में खारूदह स्टेट/ वर्तमान में पौआखाली नगर पंचायत के पौआखाली थाना क्षेत्र में खारूदह गांव में सन 1848 ई.में राधाकृष्ण मंदिर का स्थापना हुआ था।इस मंदिर को करीब 23 एकड़ भूमि दान-पत्र में मिला था ।अब मंदिर की इस भूमि पर दबंगों और भूमाफिया की नजर पड़ चुकी है । मंदिर की कुछ अंश भूमि पर दुसरे समुदाय का कब्जा हो चुका है। कहा जाता है कि मंदिर की भूमि पर वर्तमान मंदिर के प्रबंधक दामोदर दास एक साज़िश के तहत मालिकाना हक रखता है।वही दुसरी ओर अब मंदिर की भूमि को सुरक्षित करने के लिए ग्रामीणों का विरोध हो रहा है।स्थानीय एक ग्रामीणों के मुताबिक मंदिर प्रबंधक स्व: बासुदेव दास के बाद वर्तमान में दामोदर दास मंदिर प्रबंधन का कार्य कर रहा है।सन 1848 ई. व्रिटिश शाशनकाल काल‌ के दौरान पौआखाली थाना क्षेत्र के खारूदह गांव तत्कालीन खारूदह स्टेट था और खारूदह स्टेट के मालिक विजय गोपाल सिन्हा के पूर्वजों ने ही राधाकृष्ण मंदिर को करीब 23 एकड़ भूमि दान में दिया गया था।तब यह क्षेत्र बंगाल राज्य का हिस्सा था। बाद में सन 1912 ई.में 22मार्च को पश्चिम बंगाल से अलग कटकर बिहार राज्य बना और यह क्षेत्र बिहार राज्य के पुर्णिया जिला में आ गया था। वर्तमान में किशनगंज जिला के पौआखाली थाना क्षेत्र में करीब 175 साल का ऐतिहासिक राधाकृष्ण मंदिर की भूमि पर दबंगों एवं भूमाफिया के साज़िश के तहत अवैध तरीके से बिक्री किये जाने की बात सामने आ रही है।
स्थानीय ग्रामीणों के नेतृत्व कर्ता हलधर बोसाक ने बताया कि बीते सप्ताह ही जानकारी मिली कि उक्त राधाकृष्ण मंदिर की कुछ भूमि का ठाकुरगंज प्रखंड निबंधन कार्यालय में किसी दुसरे के नाम से निबंधन होने जा रहा है और फिर ग्रामीणों ने ठाकुरगंज निबंधन कार्यालय पर मंदिर भूमि की मूल दस्तावेज के साथ निबंधन अधिकारी को आवेदन देकर रोक लगाने की मांग किया तो निबंधन अधिकारी तत्काल मंदिर की जमीन को किसी दुसरे नाम से निबंधन पर अल्प समय तक रोक लगा दिया है।
इन सारी घटनाक्रम पर विश्व हिन्दू परिषद के किशनगंज जिला मंत्री संजय सिंह ने संज्ञान में लेकर ग्रामीणों के सहयोग में उतरे और वहां के ग्रामीणों के साथ मिलकर जिलाधिकारी को एक आवेदन देकर मंदिर की भूमि पर अवैध कब्जा एवं बिक्री पर रोक लगाने की मांग की गयी है।
मौके पर विहिप नेता संजय सिंह ने बताया कि उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि पुजारी को मंदिर की जमीन का मालिक नहीं माना जा सकता है, मंदिर से जुड़ी जमीन के मालिक देवता ही हैं। कोर्ट ने कहा कि पुजारी केवल मंदिर की संपत्ति के प्रबंधन का काम कर सकता है।
उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि मंदिर के पुजारी को भू-स्वामी नहीं माना जा सकता और देवता ही मंदिर से जुड़ी भूमि के मालिक हैं। उच्चतम न्यायालय के एक याचिका के फैसले में न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की एक पीठ ने कहा कि पुजारी केवल मंदिर की संपत्ति के प्रबंधन के उद्देश्य से भूमि से जुड़े काम कर सकता है। पुजारी मंदिर के भूमि का मालिक नहीं हो सकता है। शीर्ष अदालत मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस आदेश में न्यायालय ने राज्य सरकार द्वारा ‘एमपी लॉ रेवेन्यू कोड’ 1959 के तहत जारी किए गए दो परिपत्रों को रद्द कर दिया था। इन परिपत्रों में पुजारी के नाम राजस्व रिकॉर्ड से हटाने का आदेश दिया गया था, ताकि मंदिर की सम्पत्तियों को पुजारियों द्वारा अनधिकृत बिक्री से बचाया जा सके।
विहिप नेता संजय सिंह ने कहा कि फिर खारूदह गांव स्थित करीब 175 साल पुरानी राधाकृष्ण मंदिर के प्रबंधक सह पुजारी दामोदर दास मंदिर की जमीन का मालिक कैसे हो सकता है और मंदिर की जमीन वह कैसे बेच सकता है।अगर ऐसी कोई भी मंदिर के नाम की भूमि का निबंधन होगा तो वह अवैध है। इसलिए इस अवैध कृत के लिए यहां के ग्रामीण एक जुट होकर एक आवेदन बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड को भेजने का निर्णय लिया है जिसकी प्रतिलिपि यहां के जिलाधिकारी सहित सभी संबंधित विभागीय अधिकारियों को दी जाएगी।
मौके पर मंदिर की भूमि के अवैध बिक्री के विरोध में विहिप नेता नीरज मिश्रा ,मनीश ठाकुर स्थानीय ग्रामीणों में प्रमुख मुकेश कुमार साहा,विनय रावत,सजल कुमार सिंह इत्यादि सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण ने एक जुटता दिखाई और राधाकृष्ण मंदिर के भूमि का अवैध बिक्री पर रोक लगाने की मांग उठाया।

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