Yogesh suryawanshi 25 अप्रेल,गुरुवार

सिवनी : जिले में बढ़ा ग्रीष्मकालीन फसलों का रकबा, उपसंचालक कृषि एवं कृषि वैज्ञानिक के दल ने किया निरीक्षण एवं कृषकों को दी तकनीकि सलाह
जिला कलेक्टर श्री क्षितिज सिंघल के निर्देशानुसार एवं उपसंचालक कृषि सिवनी श्री मोरिस नाथ द्वारा किये जा रहे प्रयासों से सिवनी जिले में ग्रीष्मकालीन फसलों के रकबे में बढौत्तरी हुई है। विगत वर्ष में सिवनी जिले में ग्रीष्मकालीन फसलों का रकबा लगभग 18500 हेक्टेयर था जोकि इस वर्ष 2023-24 में बढ़कर लगभग 28000 हेक्टेयर तक पहुंच गया है। ग्रीष्मकालीन फसलों में मुख्यतः मुंग एंव उडद फसल का रकबा बढ़ा है। मूंग का रकबा इस वर्ष 15000 हेक्टेयर तथा उड़द का रकबा लगभग 8000 हेक्टेयर तक पहुंच गया है। इसके आलाव ग्रीष्मकाल में कृषकों द्वारा मक्का, मुंगफली इत्यादि फसलें भी ली जा रही है। उपसंचालक कृषि श्री मोरिस नाथ ने बताया कि कृषकों के पास सिंचाई के संसाधन बढ़ने से एवं रबी की फसल शीघ्र कटने से खेत के खाली रहने पर कृषक तीसरी फसल के विकल्प के रूप में मूंग फसल को अधिक पसंद कर रहे है। मूंग एवं उड़द फसल कम अवधि की फसले होने के कारण शीघ्र पक कर तैयार होती है। उक्त फसलों को लेने से कृषकों को अतिरिक्त आय प्राप्त हो रही है। विगत वर्षा से शासन द्वारा समर्थन मूल्य पर मूंग एवं उड़द फसल का उपार्जन करने से भी कृषकों का रूझान मूंग एवं उड़द फसल की ओर बढ़ा है। कृषि विभाग के माध्यम से भी कृषकों को फसल प्रदर्शन हेतु मूंग का 170 क्वि. बीज का वितरण किया गया है।

उपसंचालक कृषि एवं कृषि वैज्ञानिकों ने दी तकनीकि सलाह- उपसंचालक कृषि

श्री मोरिस नाथ, वरिष्ठ वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केन्द्र सिवनी डॉ. निखिल सिंह एवं सहायक संचालक कृषि श्री प्रफुल्ल घोडेसवार ने ग्राम ऐरपा, पिपरडाही का भ्रमण कर मूंग फसल की स्थिति का अवलोकन कर कृषकों को तकनीकि सलाह दी। डॉ. निखिल सिंह वरिष्ठ वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केन्द्र सिवनी ने कृषकों को सलाह दी कि मूंग फसल में पीला मोजेक वायरस का हल्का प्रकोप दिखाई दे रहा है इसके साथ ही पत्तीयों पर इल्लियों का प्रकोप भी दिखाई पड़ रहा है। पीला मोजेक वायरस, सफेद मक्खी से फैलता है जिसके प्रभावी नियंत्रण हेतु कृषक शुरूआत अवस्था में ही थायमेथोक्जाम एवं लेम्डासायहेलोथ्रीन कीटनाशक दवा के कॉम्बीनेशन का 100 से 150 मि.ली. प्रति एकड़ के स्प्रे करने पर कीटव्याधी से मूंग फसल को बचाया जा सकता है। इसके साथ-साथ फसल पर एन.पी.के. 19:19:19, जल विलेय उर्वरक को फूल आने से पहले और फली बनने की अवस्था पर 5 ग्राम प्रति

लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए जिससे उपज में वृद्धि हो सकें। अतः उपसंचालक कृषि श्री मोरिस नाथ द्वारा कृषक भाईयो से अपील की जाती है कि वे उक्त तकनीकि सलाह का अपनाकर लाभ प्राप्त करें।

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