गत वर्ष 30 लाख मरीजों की आयुष पद्धति से हुई चिकित्सा

आयुष चिकित्सा के विकास और विस्तार के लिए सरकार कटिबद्ध

विजय शंकर 

पटना। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा है कि राज्य सरकार के प्रयासों से प्रदेश में आयुष चिकित्सा के प्रति भी लोगों का आकर्षण बढ़ा है। कोरोना काल में लोगों ने माना कि जड़ी-बूटियों में भी आश्चर्यजनक चिकित्सा का रहस्य है। राज्य के लोगों ने अपने रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के मकसद से आयुर्वेद की शरण में जाना ठीक समझा। राज्य आयुष समिति की रिपोर्ट भी इस बात की तसदीक करती है कि प्रदेश के लोग ऐलोपैथिक के साथ आयुष चिकित्सा को एक बेहतर विकल्प के रूप में देख रहे हैं।
श्री पांडेय ने आज यहां बताया कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में दिसम्बर तक करीब 30 लाख मरीजों को प्रत्यक्ष रूप से आयुष पद्धति से चिकित्सा सुविधा प्रदान की गई है। अप्रत्यक्ष रूप से यह आंकड़ा काफी बड़ा है। उन्होंने बताया कि आयुुष चिकित्सा के विकास व विस्तार एवं इसकी सुविधा जन-जन तक पहुंचाने हेतु राज्य सरकार प्रतिबद्ध है।
श्री पांडेय ने राज्य के अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में कुल 1384 आयुष चिकित्सकों का चयन कर नियोजन किया गया है। जिनमें आयुर्वेदिक के 704, होमियो के 428 व यूनानी के 252 चिकित्सक हैं। सभी आयुष चिकित्सकों को एनएचएच कार्यक्रम के अंतर्गत, आधुनिक चिकित्सा विधि से अपडेट रखने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। सर्टिफिकेट इन कम्युनिटी हेल्थ में छह माह का कोर्स इग्नू द्वारा कराकर आयुर्वेदिक चिकित्सकों एवं जीएनएम व बीएससी नर्सेज को कम्युनिटी हेल्थ आॅफिसर के रूप हेल्थ एंड वेलनस सेंटर पर पदस्थापित किया जा रहा है। अद्यतन आंकड़ों के अनुसार 774 प्रशिक्षितों को सीएचओ के पद नियोजन कर उनसे कार्य लिया जा रहा है। आयुष चिकित्सा को लोगों के बीच और अधिक लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग तेजी से कार्य कर रहा है।
श्री पांडेय ने बताया कि बिहार तकनीकी सेवा आयोग 3270 से अधिक नियमित आयुष चिकित्सकों की बहाली प्रक्रिया में तेजी से जुट गया है। तीन हजार से अधिक नियमित आयुष चिकित्सकों की नियुक्ति होने से राज्य के लोग और बेहतर तरीके से अपना उपचार करा सकेंगे। साथ ही आयुष अस्पतालों की स्थिति को सुधारने के लिए भी कवायद चल रही है।

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