सुभाष निगम
नयी दिल्ली । देश की नामी मसाला कंपनी महाशिया दी हट्टी (MDH) के मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी का 98 साल की उम्र में निधन हो गया है। आज सुबह 5.38 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। दोपहर दो बजे उनका उनका अंतिम संस्कार होगा। माता दिल्ली के चन्नन देवी हॉस्पिटल में उन्होंने अंतिम सांस ली । महाशय धर्मपाल बीमारी के चलते पिछले कई दिनों से माता चन्नन हॉस्पिटल में भरती थे । गुलाटी कोरोना से संक्रमित होने के बाद ठीक हो गए थे । उन्हें पद्मभूषण अवार्ड से नवाजा जा चुका है ।

धर्मपाल गुलाटी विज्ञापन की दुनिया के सबसे उम्रदराज स्टार और ‘महाशियां दी हट्टी’ (एमडीएच) के मालिक थे । कभी तांगा चलाकर पेट भरने को मजबूर धर्मपाल का बचपन बेहद अभाव में गुजारा था मगर आज दो हजार करोड़ रुपये के बिजनेस ग्रुप के मालिक बन गए थे । धर्मपाल गुलाटी एफएमसीजी (फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स) सेक्टर में सबसे अधिक कमाई करने वाले सीईओ थे । इतना ही नहीं, पिछले साल गणतंत्र दिवस के मौके पर उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित भी किया गया था ।


केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह ने महाशय धर्मपाल जी को संघर्ष और परिश्रम का अद्भुत प्रतीक बताया। उनके निधन पर अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए श्री शाह ने ट्वीट में लिखा, “सौम्य व्यक्तित्व के धनी महाशय धर्मपाल जी संघर्ष और परिश्रम के एक अद्भुत प्रतीक थे। अपनी मेहनत से सफलता के शिखर को प्राप्त करने वाले धर्मपाल जी का जीवन हर व्यक्ति को प्रेरित करता है। प्रभु उनकी दिवंगत आत्मा को सद्गति प्रदान करें व उनके परिजनों को यह दुःख सहने की शक्ति दें।
महाशय धर्मपाल के निधन पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘भारत के प्रतिष्ठित कारोबारियों में से एक महाशय धर्मपालजी के निधन से मुझे दुःख की अनुभूति हुई है । छोटे व्यवसाय से शुरू करने के बावजूद उन्होंने अपनी एक पहचान बनाई । वे सामाजिक कार्यों में काफी सक्रिय थे और अंतिम समय तक सक्रिय रहे । मैं उनके परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं’।


विहिप के संयुक्त मंत्री डा. सुरेन्द्र जैन ने अपनी शोक संवेदना में कहा कि अनेक धार्मिक, सामाजिक व सांस्कृतिक संस्थाओं व गुरुकुलों के निर्माता, पोषक भामाशाह, पद्मभूषण धर्मपाल आर्य ऐसे महान व्यक्तित्व थे जिन्होंने विस्थापन का दंश झेला । तांगे वाले से विश्व प्रसिद्ध मसाले वाले बने, दानवीरता में सबको पीछे छोड़ा, आर्य समाज व अन्य धार्मिक कार्यों के लिए समर्पित रह कर आजीवन शारीरिक व मानसिक रूप से सक्रिय रहे।
केन्द्रीय मंत्री डा. हर्षवर्धन ने शोक सन्देश में कहा कि मसाला किंग के नाम से प्रसिद्ध वरिष्ठ समाजसेवी व MDH के मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी के निधन का दुखद समाचार प्राप्त हुआ । वे संघर्ष और परिश्रम के एक अद्भुत प्रतीक थे । सफ़लता प्राप्ति हेतु उनका संघर्षपूर्ण जीवन हर देशवासी को प्रेरित करता है । ईश्वर दिवंगत की आत्मा को शांति दें !
झारखण्ड के वरिष्ठ नेता अर्जुन मुंडा ने ट्वीट कर संवेदना जताई और कहा कि आजीवन दैनिक यज्ञ, वैदिक ज्ञान के प्रचार प्रसार, धार्मिक आध्यात्मिक व राष्ट्रीय मूल्यों के पोषक, अपना कार्य स्वयं कर आजीवन सक्रियता के साथ दान करते हुए खूब धन नाम व प्रसिद्धि कमाने वाले महाशय_धर्मपाल चिरकाल तक प्रेरणा देते रहेंगे । .
27 मार्च, 1923 को पाकिस्तान के सियालकोट में जन्मे धर्मपाल जी का बचपन बेहद अभावों में बीता था। देश विभाजन के बाद दिल्ली आने के बाद उन्होंने अपने पिता के साथ व्यापार शुरू कर दिया। उन्होंने अपने पिता की ‘महेशियां दी हट्टी’ के नाम की दुकान में काम करना शुरू कर दिया। इसे देगी मिर्थ वाले के नाम से जाना जाता था। भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद वे दिल्ली आ गए और 27 सितंबर 1947 को उनके पास केवल 1500 रुपये थे। इस पैसों से महाशय धर्मपाल गुलाटी ने 650 रुपये में एक तांगा खरीदा और नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से कुतुब रोड के बीच तांगा चलाया । कुछ दिनों बाद उन्होंने तांगा भाई को दे दिया और करोलबाग की अजमल खां रोड पर ही एक छोटा सी दुकान लगाकर मसाले बेचना शुरू किया। मसाले का कारोबार चल निकला और यहीं से एमडीएच ब्रांड की नींव पड़ गई।

व्यापार के साथ ही उन्होंनें समाज के लाभ के लिए भी कई काम किए। समाज के लाभ के लिए इन्होंने कई अस्पताल और स्कूल बनवाए। वे अभी तक 20 से ज्यादा स्कूल खोल चुके हैं। अनेक धार्मिक, सामाजिक व सांस्कृतिक संस्थाओं व गुरुकुलों के निर्माता, पोषक भामाशाह, पद्मभूषण #महाशय_धर्मपाल ने आजीवन वैदिक व राष्ट्रीय मूल्यों का प्रचार प्रसार किया। उनकी प्रेरणा चिरकाल तक हमें प्रेरणा देती रहेगी । .

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