उत्तराखंड ब्यूरो
हरिद्वार । हरिद्वार वन प्रभाग टनकपुर से यमुनानगर तक हाथियों के कॉरिडोर में बीचो बीच वन चौकी व वाच टावर बनाना उनके लिए बाधा बन चुका है। वन महकमे द्वारा इनके कॉरिडोर के बीचों बीच वन चौकी व वाच टावर बना दिया गया है जिसके चलते हाथियों ने अपना रास्ता बदल दिया है जिसका ख़ामियाज़ा क्षेत्र के ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है । सूत्रों की माने तो हरिद्वार वन प्रभाग के पूर्व प्रभागीय वनाधिकारी ने इन दोनों वन चौकी व वाच टावर का प्रस्ताव कॉरिडोर से अलग बनाने का रखा था, मगर आखिर यह प्रस्ताव कैसे खारिज हुआ या फिर कौन से ऐसे आधार रहे जो इसे मुख्य कॉरिडोर के बीचोंबीच बना दिया गया।
उत्तराखण्ड के जंगल अपने गजराजों के लिए विश्व विख्यात है। कभी यहाँ के टनकपुर से यमुनानगर तक हाथियों के कॉरिडोर में जंगली गजराजों के झुंड बेहिचक आवा गमन करते थे । वर्ष 1973 में प्रोजेक्ट एलिफैंट के तहत जंगली गजराजों के लिए चलाई गई योजनाएं इन गजराजों के संरक्षण व संवर्धन में अहम साबित हुई। वक्त बदलने के साथ ही एक ओर जंहा कंक्रीट के जंगल तेजी से बढे तो वहीँ दूसरी ओर विकास का सबसे बड़ा खामियाजा इन गजराजों के कॉरिडोर पर पडा। वक्त के साथ सिमटते कॉरिडोर ने मानव वन्यजीव संघर्ष में बढ़ोतरी की।वन महकमे के तमाम प्रयासों के बावजूद भी इन गजराजों ने आज तक अपने इन परंपरागत गलियारों को नही छोड़ा है।
एक ओर जहाँ राज्य का वन महकमा वन्यजीव संरक्षण व संवर्धन के लिए लगातार प्रयास करने का दावे कर रहा है , तो वन्ही दूसरी ओर कुछ कार्य ऐसे भी कर रहा है जो चर्चा का विषय बना हुआ है। हरिद्वार स्थित तिरछा पुल कॉरिडोर पर दशकों से गजराजों का प्रमुख आवा गमन स्थल रहा है। शिवालिक की तलहटी में स्थित श्यामपुर रेन्ज के इस अहम कॉरिडोर से कई गजराजों के झुंड गंगा तट पर अपनी प्यास बुझाने जाते है। राजमार्ग पर कई वर्षों से इनके निकलने का क्रम जारी रहा। मगर अब खुद हरिद्वार वन प्रभाग इस कॉरिडोर में अहम बाधा बन चुका है। महकमे द्वारा इनके कॉरिडोर के बीचोंबीच वन चौकी व वाच टावर बना दिया गया है जिसके चलते हाथियों ने अपना रास्ता बदल दिया है जिसका ख़ामियाज़ा क्षेत्र के ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है । सूत्रों की माने तो हरिद्वार वन प्रभाग के पूर्व प्रभागीय वनाधिकारी ने इन दोनों वन चौकी व वाच टावर का प्रस्ताव कॉरिडोर से अलग बनाने का रखा था, मगर आखिर यह प्रस्ताव कैसे खारिज हुआ या फिर कौन से ऐसे आधार रहे जो इसे मुख्य कॉरिडोर के बीचोंबीच बना दिया गया।
डीएफओ हरिद्वार नीरज शर्मा कहते है कि ” श्यामपुर छेत्र में हाथियों का ख़ौफ़ है , रेन्ज अधिकारी द्वारा स्थान चयनित कर ही इस चौकी व वाच टावर का निर्माण किया गया है। हाथियों का झुंड हाइवे पार कर गंगा तक ना पहुंचे इसलिए ही कॉरिडोर के मुहाने पर ही उन्हें रोकने का प्रयास किया गया है “।