कायस्थ समाज की भविष्य की चुनौतियाँ

नवराष्ट्र मीडिया ब्यूरो

पटना। भाजपा समर्थक मंच के प्रदेश अध्यक्ष अशोक कुमार, गर्दनीबाग ने कहा कि कायस्थ समाज का अस्तित्व संकट में है। अब समय आ गया है कि कायस्थ समाज एकजुट होकर अपने हितों के लिए सोचे और युवा पीढ़ी को आगे बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाए। केवल एकजुटता से ही इस समाज का भविष्य सुरक्षित किया जा सकता है।

कायस्थ समाज, जो भगवान श्री चित्रगुप्त जी के वंशज माने जाते हैं, आज एक गंभीर संकट का सामना कर रहा है। इस समाज के लोग अपने को बुद्धजीवी मानते हैं, लेकिन उनकी आंतरिक राजनीति और छोटे-छोटे समूहों में बंटने ने उनके अस्तित्व को खतरे में डाल दिया है। आभाकम, संगत-पंगत और GKC जैसे समूहों में विभाजन ने समाज की एकता को कमजोर किया है। प्रत्येक समूह के नेता अपने को मुखिया मानते हैं, जिसके कारण सामूहिक विकास की संभावनाएँ घट रही हैं।

राजनीतिक क्षेत्र में कायस्थ समाज का प्रभाव लगातार कम होता जा रहा है। बिहार में कभी इस समाज के पास दो राज्य सभा सदस्य और एक लोक सभा सांसद थे, लेकिन आज केवल एक सांसद रह गया है। वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में आगे और शून्य होने का खतरा बना हुआ है।

इसका मुख्य कारण है समाज के कुछ लोग, जो अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए युवा पीढ़ी को आगे बढ़ने से रोकते हैं। हमारे जनप्रतिनिधि (भूतपूर्व, वर्तमान संसद विधायक ) युवाओ का आगे बढने मे बाधक है,देश भर के चित्रगुप्त मंदिरों में 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों का कब्जा है, जो अपने व्यक्तिगत हित के लिए कार्य कर रहे हैं। इनकी नकारात्मक भूमिका ने युवा चित्रांशों की राजनीतिक भागीदारी में बाधा डाली है।

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