नर्वदेश्वर महादेव का पूजन कर लोगों ने खायी खिचड़ी
-पांच दिन के मेले में अलग-अलग किया जाता है भोजन

विजय शंकर
पटना /बक्सर । बक्सर के मशहूर पचकोशी मेले का दूसरा पड़ाव रहा नदांव। कभी यहां नारद मुनी तपस्या करते थे। वहां आज भी नर्वदेश्वर महादेव का मंदिर है। जहां श्रद्धालु ने रविवार को दर्शन पूजन किया। पास में ही नर्वदेश्वर सरोवर है। जिसकी परिक्रमा भी होती है। पंचकोशी समिति के संयोजक कथावाचक डा. रामनाथ ओझा बताते हैं।

सरोवर की परिक्रमा करते श्रद्धालु व समिति के सदस्य
ऐसी कथा है, भगवान के मोहनी रुप को देखकर जब नारद मुनी मोहित हुए। भ्रम टूटने पर भगवान विष्णु को श्राप दिया। लेकिन, उन्हें जब अपनी भूल का एहसास हुआ। तो यहां आकर भगवान शिव की तपस्या की। तब उनका दोष समाप्त हुआ। इसी आश्रम पर जब भगवान राम आए थे। तो यहां उनको प्रसाद स्वरुप खिचड़ी परोसी गई। भगवान ने तब यहां जो भोजन किया था। आज भी लोग वहीं प्रसाद यहां बनाते और खाते हैं।

मेले में खिचड़ी का वितरण करते पंचकोशी समिति के लोग
इस वर्ष कोरोना की वजह से मेले का स्वरुप कुछ प्रभावित हुआ है। नहीं तो प्रतिवर्ष समिति हर पड़ाव क्षेत्र में रात्रि विश्राम का इंतजाम भी करता था। लेकिन, इस वर्ष सिर्फ प्रसाद वितरण कर परंपरा का निर्वहन किया गया। लेकिन, श्रद्धालुओं को मजमा यहां भी लगा रहा। लोग स्वयं ही सावधनी बरत रहे थे। मेले का तीसरा पड़ाव सोमवार को भार्गव मुनी के आश्रम में लगेगा। उस गांव का नाम भी भभुअर है।

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