विजय शंकर
पटना : भाकपा-माले की विधायक दल की कार्यशाला के दूसरे दिन विधानसभा के भीतर विधायक दल के कारगर हस्तक्षेप करने और फिर सरकार की चल रही योजनाओं के व्यापक भंडाफोड़ करने की रणनीति पर बातचीत हुई ।विधायी कार्यों पर कार्यशाला में पूर्व विधायक रामदेव वर्मा ने अपनी बातें रखीं । उन्होंने कहा कि सदन के अंदर मेहनतकश समुदाय की आवाज को बुलंद करना माले विधायक दल का महत्वपूर्ण काम होना चाहिए । उन्होंने विधानसभा के अंदर की कार्य प्रणाली पर भी विधायकों को प्रशिक्षित किया और कहा कि विधानसभा की नियमावलियों पर चर्चा की और कार्य स्थगन, ध्यानाकर्षण, अल्पसूचित, शून्यकाल, तारांकित प्रश्न आदि विषयों पर सरकार को कारगर तरीके से घेरने पर अपने विचार व्यक्त किये । उन्होंने विधानसभा की विभिन्न समितियों के भी कारगर इस्तेमाल पर चर्चा की ।

उन्होंने यह भी कहा कि लंबे समय से विपक्ष की ओर से गैर सरकारी विधेयक नहीं आ रहे हैं, चूंकि माले और वामपंथ के 16 विधायक हैं, इसलिए गैर सरकारी विधेयकों को सदन में लाना चाहिए. सरकारी विधेयकों पर भी चौकस निगाह रखनी होगी ।

कार्यशाला के दूसरे सत्र को पटना के जाने माने चिकित्सक डॉ शकील ने बिहार में स्वास्थ्य प्रणाली पर विस्तार से चर्चा की और माले के विधायक दल को ताजा आंकड़ों से लैस कराया । उन्होंने कहा कि आज बिहार में प्रति व्यक्ति मात्र 14 रुपया सरकार स्वास्थ्य पर खर्च करती है । यह राशि बहुत कम है । माले और वामपंथ के विधायकों से बिहार की जनता को उम्मीद है कि इस राशि को कम से कम 50 रुपया करने के लिए आवाज उठानी चाहिए और विधानसभा में सरकार को घेरने की योजना बनानी चाहिए । यह भी कहा कि सरकार के दावों के विपरीत सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था कमजोर हो रही है. 6 प्रतिशत लोग दवा के लिए कर्ज लेने के कारण गरीबी रेखा के नीचे जा रहे हैं । 1100 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में महज 70 केंद्र बिहार में कार्यरत है । अस्पतालों में डॉक्टर, मुर्छक, स्त्री रोग विशेषज्ञ, ड्रेसर और जांचों का घोर अभाव है । इन पर आंकड़ों के साथ सरकार को घेरने की योजना बनानी चाहिए ।

अंतिम सत्र में ए एन सिन्हा इंस्टीट्यूट में कार्यरत सहायक प्रोफेसर विद्यार्थी विकास ने सरकार की विभिन्न योजनाओं की हकीकत पर आंकड़े पेश किये । उन्होंने कहा कि माले विधायक दल को सबसे पहले सरकार पर इस बात का दवाब बनाये की योजनाओं का मूल्यांकन थर्ड पार्टी से करवाया जाए क्योंकि हर योजना के मूल्यांकन के लिए बजट में 1 प्रतिशत का प्रावधान होता है. लेकिन देखने मे आता है कि सरकार अपनी ही एजेंसी से जांच कराकर अनियमितताओं पर पर्दा डालने का काम करती है । उन्होंने दखल देहानी, नल-जल योजना, स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति, स्कूलों की हालत, जमीन पर से गरीबों की बेधकली आदि सवालों पर आंकड़ों और सरकार के द्वारा निकाले गए सर्कुलरों के जरिये उसके खोखलेपन का भण्डाफोड़ किया ।

कार्यशाला का संचालन विधायक दल के प्रभारी राजाराम सिंह ने किया । इस मौके पर माले के राज्य सचिव कुणाल, धीरेंद्र झा, मीना तिवारी, संतोष सहर, विधायक सत्यदेव राम, मनोज मंजिल, अरुण सिंह, सुदामा प्रसाद, वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता, संदीप सौरभ, महानन्द सिंह, गोपाल रविदास, अजित कुशवाहा, रामबली सिंह यादव आदि शामिल हुए ।

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