विश्वपति
नव राष्ट्र मीडिया
स्थान: बनियापुर, सारण
जन सुराज पदयात्रा: 170वां दिन

जन सुराज पदयात्रा के दौरान बनियापुर प्रखंड में मीडिया संवाद के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि सारण में चलते हुए सबसे ज्यादा सुने जाने वाली जो बात है, वो है आम लोगों की बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर चिंता। अगस्त में नया नया महागठबंधन बना था और जब अक्टूबर में पदयात्रा शुरू हुई थी तब लोग कहते थे की राजद के सत्ता में आने के बाद कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है। लेकिन जब पदयात्रा सिवान पहुंची उसके बाद से मैं ये लगातार सुन रहा हूँ कि किसी का मर्डर हो गया, किसी का अपहरण हो गया, डैकती हो गई, तो जो डर लोगों के मन में था वो कहीं न कहीं सच साबित होता दिख रहा है। राजद जब भी सरकार में होती है लोगों का जो अनुभव रहा है उससे कानून व्यवस्था खराब होने की आशंका बनी रहती है, यह डर अब जमीन पर दिखना शुरू हो गया है।

नीतीश कुमार के कार्यकाल में ध्वस्त शिक्षा व्यवस्था के कारण दो पीढ़ियां हमेशा के लिए अनपढ़ रह गई, ये उनके कार्यकाल का सबसे बड़ा काला अध्याय है:

जन सुराज पदयात्रा के दौरान बनियापुर प्रखंड में मीडिया संवाद के दौरान नीतीश कुमार पर हमला करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार जैसे पढ़े-लिखे व्यक्ति के मुख्यमंत्री रहते हुए बिहार की शिक्षा व्यवस्था का ध्वस्त हो जाना उनके कार्यकाल का सबसे बड़ा काला अध्याय है। ऐसा इसलिए है कि यदि कोई सड़क टूट गई है तो कल एक अच्छी सरकार आएगी तो सड़क बन जाएगी। लेकिन शिक्षा व्यवस्था के ध्वस्त हो जाने की वजह से यदि कल को कोई अच्छी सरकार आ भी जाए तो भी जो 2 पीढ़ियां इस शिक्षा व्यवस्था से निकाल गई तो उनको जीवन भर उनको शिक्षत समाज के पीछे ही रहना पड़ेगा। अब तो बहुत मुश्किल है कि जाकर अपने आपको शिक्षत कर पाएंगे, ये उन लोगों के लिए बहुत बड़ा दुर्भाग्य है।
प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार के बच्चों की मूलभूत समस्या है शिक्षा और रोजगार। जब तक आप शिक्षा और रोजगार के नाम पर वोट नहीं करेंगे तब तक कोई भी सरकार या कोई भी व्यवस्था आ जाए आपकी स्थिति नहीं सुधरेगी। जिस दिन आप शिक्षा और रोजगार पर वोट करने लगेंगे तब से आपको सुधार दिखने लगेगा। आप जिस नाम पर वोट करते हैं आपको वही मिलता है। हमको ये लगता है कि हम वोट ठीक कर रहे हैं लेकिन परिणाम गलत मिल रहा है, ऐसा नहीं है।
क्योंकि जब वोट जाति के नाम पर करते हैं तो हर जगह जाति की प्रमुखता आपको दिख रही है। वोट आप भारत-पाकिस्तान के नाम पर करते हैं तो जब आप टीवी चलाते हैं तो आपको उसमें भारत पाकिस्तान ही देखने को मिलता है। वोट राम मंदिर के नाम पर किया है तो 30 वर्ष के बाद ही सही राम मंदिर बन ही रहा है। ये कुछ उदाहरण है जो हमको बताते हैं कि जिस नाम पर हम वोट करते हैं वो हमको मिल रहा है। जब हम शिक्षा और रोजगार के नाम पर वोट कर ही नहीं रहे हैं, तो वो सुधरेगा कैसे?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *