शाहाबाद ब्यूरो
विज्ञान की जटिल समस्या को अलग अलग वैज्ञानिक तकनीकों के समन्वय से ही समग्रता में समझा जा सकता है। इससे शोध का महत्व बढ़ जाता है।
यह बातें मगध विश्वविद्यालय के रसायन शास्त्र विभाग में प्रो. रणजीत कुमार वर्मा के जन्मदिन की पैंसठवी वर्षगाँठ पर आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय थर्मल विश्लेषण संगोष्ठी के उद्घाटन के अवसर पर आयोजित व्याख्यान में जर्मनी के प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रो. क्रिसान पोपेस्कू ने कही।
इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में वीर कुंवर सिंह यूनिवर्सिटी आरा के भी कई विद्वान प्रोफेसर,रिसर्चर और छात्र हिस्सा ले रहे हैं।
इसके अलावे बिहार सहित देश और दुनिया के कई देशों के विद्वान प्रोफेसर और वैज्ञानिक भी शामिल हुए हैं।
अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन मंगलवार को संगोष्ठी को संबोधित करते हुए जर्मनी के वैज्ञानिक प्रोफेसर कृसान पोपेस्कू ने कहा कि एक विधा के वैज्ञानिक एक पहलू का अध्ययन करते हैं। समग्रता के लिए सहयोग बहुत ज़रूरी है।
सटैक- 2021 नाम की संगोष्ठी का उद्घाटन मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विभूति नारायण सिंह ने किया। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता मुंगेर यूनिवर्सिटी के संस्थापक कुलपति प्रो. रणजीत कुमार वर्मा ने की। स्वागत भाषण प्रो. रुद्र प्रताप सिंह चौहान ने दिया और धन्यवाद ज्ञापन प्रो.उपेन्द्र नाथ वर्मा ने किया ।
क्रिसान पोपेस्कू ने कहा कि मानव केश पर ताप , आम्लीयता पर बाल की तन्यता, मजबूती और नमी सोखने की क्षमता पर तो पड़ता ही है, छोटी मोटी व्याधियों से लेकर कैंसर जैसी व्याधियों के आगमन की सूचना बाल के इन गुणों से और तापीय गुणों मिलती हैं।
अन्तर्राष्ट्रीय थर्मल विश्लेषण संघ (इक्टैक) के अध्यक्ष प्रो. नागोयाशी कोगा (हिरोशिमा,जापान) ने ताप परिवर्तन पर होने वाली रासायनिक प्रतिक्रियाओं की गति समझने के गुर सिखाए । प्रो. वर्मा के साथ अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग से तेल के तापीय विघटन पर शोध में जुड़े प्रो. पीटर सीमोन (स्लोवाकिया) ने ऐसे अध्ययनों में होने वाली सामान्य चूकों पर अपनी बातें कही ।
मुंगेर यूनिवर्सिटी के संस्थापक कुलपति प्रो.रणजीत कुमार वर्मा ने मंगलवार को बताया कि परमाणु अनुसंधान केन्द्र कालपक्कम और भाभा केन्द्र के दस वैज्ञानिकों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए । बुधवार तक यह संगोष्ठी चलेगी। इस क्षेत्र में विश्व की दोनों शीर्ष शोध पत्रिकाओं के प्रधान संपादकों के मंगलवार को व्याख्यान हुए।
इसके पूर्व अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के पूर्व संध्या पर व्याख्यान देते हुए ।भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र मुम्बई के निदेशक और प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. ए के त्यागी ने कहा कि अजूबा और अनूठा बना लेने की ललक ही विज्ञान में क्रांति लाती है।
अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र मुम्बई के निदेशक और प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. ए के त्यागी ने कहा कि मेटास्टेबल पदार्थों को बनाने में दिक्कत तो होती है, बनने के बाद अपने गुणों के कारण वे बहुत उपयोगी होते हैं । विशिष्ट विद्युतीय, चुम्बकीय, प्रकाशीय , उत्प्रेरक गुणों के कारण ऐसे पदार्थ , प्रौद्योगिकी में अद्भुत क्रांति लाते हैं । इसी क्रम में पीली मिट्टी में पाया जाने वाला सीरियम धातु के विभिन्न आक्सीकृत अवस्था का लाभ लेकर जिरकोनियम के साथ विचित्र ‘ऑक्सीजन सोखता’ और ऑक्सीजन भंडार करने की तकनीक भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिकों ने बनायी है जिससे विश्व में भारतीय विज्ञान की पहचान बढ़ी है।
सोमवार से आरंभ होकर मंगलवार तक पहुंचे इस संगोष्ठी में विषय को नये प्रतिभागी समझें, इस उद्देश्य से “थर्मल विश्लेषण और कैलोरीमापी पर वडोदरा के प्रो. अरुण प्रताप ने परिचयात्मक व्याख्यान दिया और इस विधा पर विस्तृत प्रकाश डाला। वहीं लखनऊ स्थित केंद्रीय औषध अनुसंधान केन्द्र के डॉ.प्रदीप श्रीवास्तव ने विभिन्न ‘साइनटून’ और कॉर्टूनों द्वारा नैनो पदार्थों की दुनिया की सैर करायी। संचालन प्रख्यात वैज्ञानिक और पूर्व कुलपति प्रो रणजीत वर्मा ने की ।