किसके आदेश से रिम्स के पेइंग वार्ड से निदेशक बंगला और फिर निदेशक बंगला से पेइंग वार्ड में शिफ्ट हुए लालू, सरकार को 18 दिसंबर तक हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश
रांची ब्यूरो
रांची । लालू यादव को पहले ऑरिम्स के पेइंग वार्ड से निदेशक बंगला और फिर निदेशक बंगला से पेइंग वार्ड में शिफ्ट किए जाने पर हाईकोर्ट ने झारखंड सरकार से सवाल पूछा है। चारा मामले में सजा काट रहे लालू यादव के जेल मैनुअल उल्लंघन मामले में शुक्रवार को झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। उल्लेखनीय है कि जेल मैनुअल के पालन पर रिपोर्ट नहीं दिए जाने पर झारखंड हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की थी। जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की अदालत ने राज्य के कारा महानिरीक्षक और बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा के अधीक्षक को शो कॉज करते हुए यह बताने को कहा था कि अदालत के आदेश के बाद भी यह जानकारी क्यों नहीं दी गई। जबकि अदालत के आदेश की कॉपी उन्हें समय पर उपलब्ध करा दी गयी है।
उल्लेखनीय है कि कोविड के बढ़ते प्रभाव का हवाला देते हुए लालू को पहले पांच सितंबर को पेइंग वार्ड के वार्ड नंबर 11 से डायरेक्टर बंगला (केली बंगला) में शिफ्ट किया गया था। इसके बाद वहां लालू यादव का एक ऑडियो वायरल होने के बाद 26 नवंबर को आनन-फानन में उन्हें केली बंगला से वापस पेइंग वार्ड के वार्ड नंबर-11 में शिफ्ट कर दिया गया था।
हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि लालू यादव को को पेइंग वार्ड से निदेशक बंगला में शिफ्ट करने का निर्णय किसका था और फिर किसके आदेश से उन्हें बंगला से वार्ड में शिफ्ट किया गया। लालू प्रसाद को मिलने वाले सेवादार की नियुक्ति प्रक्रिया क्या है, इसकी भी जानकारी कोर्ट ने मांगी है। इन सभी मामलों पर सरकार को 18 दिसंबर तक हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया गया है।
कोर्ट को सरकार की ओर से बताया गया कि कैदियों से मिलने वालों के लिए एसओपी बनाई गई है। इसके तहत सुरक्षा और कैदियों से मिलने की प्रक्रिया बनाई गई है। इस पर कोर्ट ने एसओपी की डिटेल जानकारी भी 18 दिसंबर को पेश करने का निर्देश दिया। लालू प्रसाद से तीन महीने में मुलाकात करने वालों की सूची हाईकोर्ट ने कारा महानिरीक्षक और रांची के बिरसा मुंडा जेल के अधीक्षक से मांगी थी। दोनों की रिपोर्ट पर सुनवाई के बाद अदालत ने शुक्रवार को यह निर्देश दिया।