विजय शंकर 
पटना : लोक जनशक्ति पार्टी पर मालिकाना हक को लेकर अभी जोर आजमाइश का दौर चल रहा है । अब सांसद चिराग पासवान भी अपने संसदीय दल के नेता होने के पक्ष में अपना पक्ष ओम बिरला को रखने वाले हैं और आज रात ही 8:00 बजे ओम बिरला ने सांसद चिराग पासवान को वक्त दिया है जिससे वह स्थिति स्पष्ट कर सकें ।

एक तरफ लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान, जिन्हें विरासत में राष्ट्रीय अध्यक्ष उनके पिता रामविलास पासवान ने बनाया था, वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रीय अध्यक्ष के नए दावेदार सांसद पशुपतिनाथ पारस है, जो रिश्ते में चिराग पासवान के चाचा हैं । रामविलास पासवान के चहेते भाई पशुपतिनाथ पारस ही रहे हैं, क्योंकि रामविलास पासवान की अनुपस्थिति में भले ही पार्टी की चाबी रामविलास पासवान ने अपने बेटे चिराग पासवान को दे दिया था, मगर पार्टी की अन्य जवाबदेही पशुपतिनाथ पारस के जिम्मे ही रहा करती थी ।

पिछले एक सप्ताह से जो दिल्ली से लेकर पटना तक लोक जनशक्ति पार्टी पर अधिकार जमाने को लेकर रस्साकशी चल रही है, उस रस्साकशी के बीच अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है । क्योंकि अभी तक न चुनाव आयोग ने अपना फैसला सुनाया है और ना ही लोकसभा अध्यक्ष की ओर से ही अंतिम फैसला हो पाया है । जबकि पार्टी के सभी सांसदों ने चिराग पासवान को छोड़कर सभी पांच सांसद पशुपतिनाथ पारस के खेमे में चले गए हैं और एक साथ उन लोगों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को अपना संसदीय दल का नेता चुन लिए जाने का दावा कर दिया था, जिसके आलोक में आनन-फानन में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी कई नियमों की अनदेखी करते हुए लोकसभा में संसदीय दल के नेता की मान्यता भी दे दी जबकि पार्टी के संविधान और देश के संविधान दोनों की तरफ से इसकी औपचारिकता तक पूरी नहीं की गयी । संविधान के प्रावधानों के विपरीत औपचारिकता पूरी की गयी और मान्यता नहीं दी जा सकती थी ।

ऐसे हालात में अब सांसद चिराग पासवान भी अपने संसदीय दल के नेता होने के पक्ष में अपना पक्ष ओम बिरला को रखने वाले हैं और आज रात ही 8:00 बजे ओम बिरला ने सांसद चिराग पासवान को वक्त दिया है जिससे वह स्थिति स्पष्ट कर सकें । अब लोकसभा अध्यक्ष इन दोनों दावों के बीच संविधान के प्रावधानों के तहत और पार्टी के संविधान के अनुसार कौन सा फैसला लेते हैं, इस पर फैसला आज देर रात तक आने की संभावना है ।

दूसरी तरफ चुनाव आयोग में पार्टी पर दावा-कब्ज़ा ठोकने वाले चिराग पासवान के चाचा पशुपतिनाथ पारस का पक्ष भी चुनाव आयोग ने ले लिया है । साथ ही सांसद चिराग पासवान ने भी अपना दावा चुनाव आयोग को पेश कर दिया है । ऐसे में चुनाव आयोग किस करवट लेता है और किस धरा-गुट को सही मानता है, उस पर काफी कुछ निर्भर करेगा । अभी वर्तमान में रामविलास पासवान का बड़ा सा बंगला लोजपा के नाम पर ही अलॉट है और लोजपा अगर चिराग पासवान के हाथ से निकल जाता है तो ऐसे में चिराग पासवान को बंगले से भी हाथ धोना पड़ सकता है ।

हालांकि इस बदलते परिवेश में चिराग पासवान ने अपनी मां और रामविलास पासवान की पत्नी को मैदान में उतारने व राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की रणनीति बना ली है ताकि सर्व सम्मत कोई फैसला हो जाये । ऐसे में पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष अब ना चिराग पासवान रहेंगे और ना ही पशुपति पास नाथ पारस को ही राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाएगा । चिराग का माँ वाला पासा कितना असरदार होता है यह अभी फैसला होने तक चर्चा में रहेगा । किसी राष्ट्रीय पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का फैसला बंद कमरे में बैठे लोग नहीं कर सकते बल्कि बिहार की वह तमाम जनता, वह तमाम राजनेता करेंगे जो रामविलास पासवान के साथ कदम से कदम मिलाकर चलते हुए लोजपा को जमीन तैयार करने में मदद की थी ।

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *