विजय शंकर
पटना । राष्ट्रवादी विकास पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष संजय रघुवर ने भी आज बिहार राज्य के निर्माता एवं भारत के प्रथम संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ सच्चिदानंद सिन्हा को बिहार सरकार के किसी भी कार्यक्रम में याद नहीं किये जाने पर गहरा दुःख व्यक्त किया है। संजय रघुवर ने मौजूदा सरकार पर महान व्यक्तियों के सम्मान को जातीय आधार पर करने का भी आरोप लगाया है और कहा है कि यह अत्यंत ही शर्मनाक है । राष्ट्रवादी विकास पार्टी ने आज यह निर्णय लिया है कि उसके हर कार्यक्रम में उसके बैनर पोस्टर पर डॉ सच्चिदानंद सिन्हा की तस्वीर होगी । अंचल से लेकर राज्य कार्यालय तक उनकी तस्वीर टांगी जाएंगी । कल मंगलवार को राष्ट्रवादी विकास पार्टी महामहिम राज्यपाल के समक्ष डॉ सच्चिदानंद सिन्हा जी के पटना में आदम कद प्रतिमा स्थापित किए जाने एवं उन्हें भारत रत्न की उपाधि से अलंकृत करने के लिए अपने पदाधिकारियों के उपवास का कार्यक्रम निर्धारित किया है जो सरकार द्वारा निर्धारित स्थल गर्दनीबाग में किया जाएगा । महामहिम राज्यपाल से राष्ट्रवादी विकास पार्टी का एक प्रतिनिधि मंडल भी मिलेगा और इसकी सूचना राज्यपाल के परिषद को भेजी गयी है । संजय रघुवर ने कहा कि उपवास कार्यक्रम के संबंध में जिलाधिकारी पटना के अधीनस्थ जिला नियंत्रण कक्ष को सूचना उपलब्ध करा दी गई है ।
उल्लेखनीय है कि आज बिहार दिवस है और डॉ सच्चिदानंद सिन्हा के प्रयासों से 1912 में आज ही के दिन बिहार राज्य अपने अस्तित्व में आया था । 1912 के बिहार में उड़ीसा और आज का झारखंड भी शामिल था जिसे बाद में अलग किया गया । बिहार सरकार के राजकीय समारोह में राज्य के निर्माता एवं भारत के प्रथम संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ सच्चिदानंद सिन्हा को याद नहीं किया गया । जबकि सच्चिदानंद सिन्हा के बिहार निर्माण के पश्चात पटना के पुराना सचिवालय, विधानसभा भवन, विधान परिषद भवन, हवाई अड्डा के निर्माण में अपनी जमीन दान में देने का सच्चिदानंद सिन्हा ने अद्भुत कार्य किया था । इसके अतिरिक्त बिहार विद्यालय परीक्षा समिति का भवन भी उनके निजी आवास में अवस्थित है । उनके इस महान कार्यों को कांग्रेसी सरकार तो नकार ही चुकी थी । कांग्रेस के घटिया परंपरा को आगे बढ़ाते हुए वर्तमान सरकार ने भी डॉक्टर सच्चिदानंद सिन्हा के योगदान को नकार चुकी है । इतना ही नहीं डॉ सच्चिदानंद सिन्हा अपनी पत्नी स्वर्गीय राधिका सिन्हा की मृत्यु के उपरांत उनकी स्मृति में राधिका सिन्हा पुस्तकालय लाइब्रेरी की स्थापना अपने आवासीय परिसर में की थी और भवन भी बनाया । ट्रस्ट बनाया था इस प्रख्यात पुस्तकालय का अस्तित्व मौजूदा बिहार सरकार की उपेक्षा के कारण खतरे में पड़ चुका है । पुस्तकालय बंद है, पुस्तकों में दीमक लग रहे हैं , लग चुके हैं ।

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