पंजाब के मुख्यमंत्री की पत्नी के खाते से उड़ाए थे 23 लाख रुपये
नोएडा । ट्रेज़री ऑफिसर बन कर ठगी करने वाले अंतर्राजीय गिरोह के शातिर आरोपी नूर अली को नोएडा साइबर क्राइम थाने की टीम ने गिरफ्तार किया है । नूर साथियों के साथ मिलकर पूरे देश में अलग-अलग विभागों के रिटायर कर्मचारियों से अब तक करीब 25 करोड़ रुपये की ठगी कर चुका है । इस गिरोह ने 2019 में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी और सांसद परनीत कौर के खाते से 23 लाख रुपये ठगी कर निकाल लिए थे। बाद में पंजाब पुलिस ने इस मामले में 800 सिम कार्ड और 200 बैंक खातों को जब्त कर 18 लाख रुपये बरामद कर लिए थे। बनारस से रिटायर एक पुलिसकर्मी के खाते से 40 लाख रुपये रुपए और आगरा से रिटायर पुलिसकर्मी के खाते से 16 लाख रुपये ठगी कर निकाल लिए हैं। पुलिस गिरोह के फरार 6 अन्य आरोपियों की तलाश कर रही है। गिरोह लोगों के बिजली बिल जमा करके , ट्रेन टिकट व मूवी टिकट आनलाइन काटकर ग्राहक से नगद लेकर अपने निजी खातों में पैसे जमा कर लेते ।

भागलपुर, बिहार के रहने वाले नूर अली अपने भाई अफसर अली और साथी सफरुद्दीन अंसारी, कलीम अंसारी, अहमद अंसारी, अंकित कुमार और छोटन मंडल निवासी जामतारा, झारखंड के साथ मिलकर ठगी का गिरोह चला रहा था । गिरोह का एक सदस्य और नूर अली का भाई अफसर अली वर्तमान में झारखंड की जामतारा जेल में बंद है। ट्रेजरी ऑफिसर बन कर अलग-अलग प्रदेशों में रिटायर हुए विभिन्न विभागों के कर्मियों को पेंशन का डाटा अपडेट करने के लिए कॉल कर बैंक खाते से संबंधित जानकारी हासिल कर उनसे OTP मांग कर उनके खाते पर आनलाईन बैंकिंग एक्टिवेट कर लेते थे । उसके बाद उनके खाते में जमा धनराशि को फर्जी खातों में ट्रांसफर कर लेते थे । पुलिस ने आरोपी नूर अली को सहारनपुर से गिरफ्तार किया है । साइबर क्राइम टीम को जांच के दौरान आरोपी के विभिन्न बैंकों के 80 खातों की जानकारी मिली है । इसमे जमा डेढ़ लाख रुपये को पुलिस ने फ्रीज़ करा दिया है। साथ ही 40 वॉलेट में जमा 1 लाख 80 हज़ार रुपये भी पुलिस ने फ्रीज़ करवा दिया है।

नोएडा के सेक्टर 36 स्थित साइबर क्राइम थाने के प्रभारी विनोद पांडे ने बताया कि आरोपियों का मुख्य निशाना रिटायर हुए पुलिसकर्मी होते थे। यह लोग रिटायर होकर घर पहुंचने वाले पुलिसकर्मियों को कॉल करते थे और उन्हें पूर्व में उनकी पोस्टिंग और पहले से इकट्ठा की गई अन्य संबंधित जानकारियां उन्हें देते हुए उनके मोबाइल पर एक ओटीपी भेज कर उनसे कहते थे कि आपका नौकरी के दौरान कुछ एरियर बाकी है जो आपके खाते में भेजा जाएगा । इस पर पुलिसकर्मी उनको ओटीपी बताते थे और वह इसके जरिए उसके बैंक खाते की नेट बैंकिंग एक्टिवेट कर लेते थे। बाद में आरोपी कर्मचारियों के खाते में जमा रकम अपने खातों में ट्रांसफर कर लेते थे। जांच के दौरान पुलिस को आरोपी के करीब 120 बैंक खातों और वॉलेट की जानकारी मिली है। इसमें कुछ बैंक खाते उसके सहयोगियों ने जामतारा से उपलब्ध कराए थे। ठगी से मिलने वाली रकम में सबका कमीशन तय रहता था। आरोपी अपने साथियों का पैसा एटीएम डिपॉजिट मशीन के माध्यम से उनके खातों में जमा कर देता था ।

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