बंगाल ब्यूरो 

कोलकाता। पश्चिम बंगाल राज्य विधानसभा में सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने दावा किया है कि कोविड-19 संकट की वजह से देश के बाकी राज्यों से बंगाल लौटने वाले प्रवासी श्रमिकों में से किसी की भी मौत भूख की वजह से नहीं हुई है। राज्य के पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी ने विधानसभा के सत्र के दौरान विपक्ष के एक सवाल के जवाब में रिपोर्ट कार्ड दिखाते हुए कहा कि जितने भी प्रवासी मजदूर दूसरे राज्यों से लौटे हैं उन्हें 100 दिनों की रोजगार गारंटी योजना से जोड़ दिया गया है। ऐसा एक भी श्रमिक नहीं है जिसकी मौत भूख की वजह से हुई हो। उन्होंने केंद्र सरकार से इस संबंध में मिले पुरस्कारों का जिक्र करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल को 100 दिनों की रोजगार योजना के क्रियान्वयन के मामले में अनेकों पुरस्कार मिल चुके हैं। विपक्ष के विधायक चाहे तो मेरे पंचायत विभाग के दफ्तर में जाकर इन पुरस्कारों को देख सकते हैं।
उन्होंने कहा कि पंचायत विभाग के कार्य के लिए 23980 करोड़ रुपये राज्य बजट में आवंटित किए गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कई बार केंद्र सरकार राजनीतिक कारणों की वजह से राज्य की मदद नहीं करती लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि केंद्र राज्य के साथ खड़ा रहता है। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि हाल ही में बंगाल में चक्रवात आया था लेकिन जैसी मदद केंद्र से मिलनी चाहिए थी वैसी नहीं मिली। राज्य में हर जगह बांधों के पक्कीकरण के काम को 100 दिनों के रोजगार योजना के तहत शुरू किए गए हैं जिसमें प्रवासी श्रमिकों को जोड़ा गया है।
पड़ोसी देश बांग्लादेश का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वहां केंद्र ने स्थानीय प्रशासन की भरपूर मदद की लेकिन भारत में ऐसा नहीं हो सका। अपनी सरकार के कार्यों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि कोविड-19 संकट के समय जिस दिन प्रवासी श्रमिक बंगाल लौटे उसी दिन से उन्हें रोजगार योजना में जोड़ दिया गया। नियमित तौर पर रोज 250 रुपये उन्हें दिए गए हैं। कुल मिलाकर 10 करोड़ कार्य दिवस का सृजन प्रवासी श्रमिकों के लिए हुआ है। केंद्र सरकार ने बंगाल को 100 दिनों के रोजगार गारंटी योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए ही प्रथम पुरस्कार दिया है।

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