दो अफसर सस्पेंड,कई के वेतन वृद्धि पर सरकार ने लगाई रोक
पटना । ग्रामीण क्षेत्रों से मिली शिकायतों के आलोक में विभाग द्वारा कराई गयी जाँच में एक साल में 65 प्रखंड विकास पदधिकारी व उनके समतुल्य अधिकारियों पर कार्रवाई की गई । उसी क्रम में आरोप सही पायेजाने पर दो अफसरों को निलंबित भी किया गया तथा कई अन्य अधिकारीयों के वेतन वृद्धि पर रोक लगा दी गयी । सरकार की कारवाई से अगर बीडीओं स्तर के पदाधिकारी सुधर जाएँ तो निश्चित रूप से बिना घूसखोरी के गरीबों का काम हो सकेगा और सात निश्चय पार्ट -2 को काफी सफलता मिलेगी ।
जानकारी के अनुसार ग्रामीण विकास विभाग के पास साल भर के भीतर सैंकड़ों शिकायतें आईं मगर जांच हुई तो उसमें 65 आरोप आंशिक या पूरी तरह सही पाए गए । अरवल के बीडीओ पर आरोप लगा कि सरौती पैक्स की सदस्यता के मामले में अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर आदेश दिया । जांच में सही पाए जाने पर उन्हें चेतावनी दी गई । औरंगाबाद के दाउदनगर के तत्कालीन बीडीओ अशोक प्रसाद ने पंचायत चुनाव में एक नाबालिग का नामिनेशन स्वीकार कर लिया. जिसके कारण उन्हें सिर्फ चेतावनी की सजा दी गई ।
कुछ बीडीओ पर कड़ी कार्रवाई भी हुई है. लेकिन, उसमें ग्रामीण विकास विभाग की खास भूमिका नहीं है । त्रिवेणीगंज, सुपौल के तत्कालीन बीडीओ शैलेश कुमार केसरी रिश्वखोरी के मामले में दबोचे गए और उन्हें जेल भेजा गया, निलंबित भी हुए । इनके ऊपर विभागीय कार्यवाही चल रही है । वैशाली जिले के महनार के तत्कालीन बीडीओ प्रमोद कुमार को रिश्वत के आरोप में जेल जाने के बाद ही निलंबित किया गया था । जेल से निकले तो निलंबन से भी मुक्त हो गए । ग्रामीण विकास विभाग के मुख्यालय में काम कर रहे हैं ।
भागलपुर जिला के शाहपुर के बीडीओ विजय कुमार सौरभ पर योजनाओं में लारपवाही बरतने का आरोप लगा । सजा के तौर पर उन्हें भी सिर्फ और सिर्फ चेतावनी ही दी गई । यही आरोप शंभूगंज, बांका की बीडीओ दीना मुर्मू पर लगा । सजा भी वही-चेतावनी ही दी गई। ग्रामीण विकास विभाग ने शिकायतों की जांच के बाद जारी अधिसूचना में आरोपों का जो ब्यौरा दिया है । उसका भाव यही है कि बीडीओ गांव और गरीबों से जुड़ी योजनाओं के कार्यान्वयन में खास दिलचस्पी नहीं दिखाते हैं ।
उदवंतनगर, भोजपुर के बीडीओ धर्मेंद्र कुमार सिंह पर लगे आरोपों में मुख्यालय से अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित रहने , वरीय पदाधिकारी के आदेश का उल्लंघन करने , स्वेच्छाचारिता, अनुशासनहीनता, प्रधानमंत्री आवास योजना के मार्गदर्शन का उल्लंघन और वित्तीय अनियमितता करने का है । इन आरोपों के जवाब को विभाग ने अस्वीकार कर दिया और सजा में इनकी दो वेतन वृद्धि पर रोक लगा दी गयी ।