चिराग ने कहा, उन्‍हें राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष पद से कोई नहीं हटा सकता , जा सकते हैं कोर्ट  भी

विजय शंकर 

पटना । लोजपा में चल रही फूट और पारिवारिक कलह के बीच गुरुवार को पशुपति कुमार पारस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिए गए। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक लोजपा के पूर्व सांसद सूरजभान सिंह के निजी आवास पर आयोजित की गई जिसमें पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष बने चाचा पशुपति पारस को पार्टी का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया। उल्लेखनीय है कि लोजपा में चल रहे विवाद के चलते पशुपति नाथ पारस को राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे चिराग पासवान ने पार्टी से निकल दिया था जबकि लोकसभा में पारस को संसदीय दल का नेता चुन लिया गया था और मान्यता भी इन्हें मील गयी थी । 

लोजपा का गेंद एक बार फिर पशुपतिनाथ पारस के पाले में आ गया है और चिराग पासवान फिर अकेले पद गये हैं । पूर्व सांसद सूरजभान सिंह के आवास पर हुयी बैठक में उनका भी साथ पारस को मिल  गया और अब संभवत: विरोध के सुर कम हो जायेंगे । बिना चिराग के हुयी बैठक के निर्णय के बाद  चिराग पासवान अब सिर्फ सांसद भर रह गए है और आगे वे किस तरह का रुख अपनाते हैं , यह कहना अभी मुश्किल है । 

लोजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक पूर्व सांसद सूरजभान सिंह के आवास पर की गई। बैठक में लोजपा सांसद पशुपति पारस. सांसद महबूब अली कैसर, सांसद बीना देवी चंदन सिंह समेत पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों ने हिस्सा लिया। जबकि समस्तीपुर के सांसद व चचेरे भाई प्रिंस राज बैठक में नहीं पहुंचे।

इधर समस्तीपुर के सांसद व चिराग पासवान के चचेरे भाई प्रिंस राज के बैठक में नहीं पहुंचना कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। कुछ का कहना है कि प्रिंस पारिवारिक कलह में अपने को अलग रखने का प्रयास कर रहे हैं। कोरोना संक्रमण को लेकर सरकारी गाइडलाइन का पालन किया गया जिसके कारण कई सक्रीय नेता बताया जा रहा है।

वहीं प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पशुपति पारस ने कहा कि जब मैं सरकार में शामिल होऊंगा तो, संगठन का पद छोड़ दूंगा. लेकिन जब पत्रकारों ने उनसे सवाल किया कि संसदीय दल का नेता और राष्ट्रीय अध्यक्ष आप स्वयं बन गए हैं, तो खीझते हुए पशुपति पारस ने प्रेस कांफ्रेंस छोड़ दी. अध्‍यक्ष निर्वाचित होने के बाद पशुपति पारस देर शाम मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर उन्‍हें अपना समर्थन दे सकते हैं। हालांकि, बिहार विधानसभा में एलजेपी का एक भी विधायक नहीं रहने के कारण इस समर्थन का केवल सांकेतिक अर्थ ही होगा। पशुपति पारस ने अध्‍यक्ष चुने जाने के बाद मीडिया से मुखातिब होकर अपनी बात भी रखी। हालांकि वे मीडिया के सामने ज्‍यादा देर तक नहीं रहे। उन्‍होंने कहा कि भतीजा तानाशाही करने लगे तो उनके सामने दूसरा रास्‍ता नहीं बचा था।

इधर, चिराग ने कहा कि उन्‍हें राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष पद से कोई नहीं हटा सकता है। पारस गुट के एलान को उन्‍होंने पार्टी के संविधान के विरुद्ध बताते हुए लंबी लड़ाई का एलान किया। इस बीच चिराग पासवान दिल्‍ली में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। साथ ही चिराग की ओर से और बागियों को भी बर्खास्‍त करने की तैयारी चल रही है। पारस को संसदीय दल का नेता बनाने का विरोध करते हुए चिराग पासवान पहले ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिख चुके हैं।

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