‘साहित्य नव सृजन’ ने वार्षिकोत्सव में किया साहित्यकारों को सम्मानित

By SHRI RAM SHAW

नई दिल्ली, 12 जुलाईप्राची के निरभ्र कोने से लौह पुरुष झांक रहा था। दिवस का अवसान समीप था और दिल की महफ़िल भी सज गयी थी जहाँ शब्दों की आत्मा को अहसास की सांसों से जीने का हुनर रखने वाले कविता की खुशबू को मुट्‌ठी में बंद करने की कोशिश कर रहे थे। गीत-गजल की दुनिया के सितारे और उनकी हर कलाम पर दाद देते शायरी के मुरीद अदब की रंग-ए-महफिल में अपनी शिरकत से चार चाँद लगा रहे थे।

नए शायर यह साबित करते नज़र आये कि अच्छी शायरी के लिए उम्र दराज होना कतई जरूरी नहीं है, जरूरी है ज़िन्दगी को करीब से जानने समझने का हुनर आना। उनकी शायरी में समाज का हर पहलू देखने को मिला। चाहे टूटते रिश्ते, जीने की जद्दोजहद, अकेलापन, निराशा हो या अपनी अहमियत खोते आदर्शो के अंधेरों से बाहर निकलने की छटपटाहट। यह देखना भी वाकई सुखद रहा कि नई पीढ़ी गजल लिखने और सुनने में दिलचस्पी दिखा रही है।

साहित्य नव सृजन साहित्यिक संस्था, गाजियाबाद ने अपना प्रथम वार्षिकोत्सव बड़े ही हर्षोल्लास से अनूठे अंदाज में कोरोना के नियमों का पालन करते हुए ऑनलाइन मनाया। इसमें  देश के जाने-माने और नामचीन साहित्यकारों को आमंत्रित किया गया था। सुप्रसिद्ध गीतकार और शायर शिवकुमार बिलगरामी, सुविख्यात हायकुकार डा. राजीव पाण्डेय, साहित्य भूषण सम्मान से सम्मानित अंतर्राष्ट्रीय  कवयित्री  श्रीमती रमा सिंह एवम् सुप्रसिद्ध पत्रकार डॉ चेतन आनंद सम्मिलित हुए। संस्था की संस्थापिका अनुपमा पांडेय ‘भारतीय’ एवम् संस्था के अध्यक्ष ओंकार त्रिपाठी ने विधिवत कार्यक्रम का आयोजन किया।

कार्यक्रम की शुरुआत अतिथिगणों के स्वागत से हुई। कार्यक्रम की अध्यक्षता  डाक्टर रमा सिंह ने की। पंरपरा अनुसार सरस्वती वंदना गाज़ियाबाद की उभरती कवयित्री गार्गी कौशिक के सुमधुर कंठ से हुई। तदोपरांत नवोदयी जी ने अभिनंदन गीत गाया।

सभी अतिथियों के स्वागत में पटल पर स्लाइड शो के जरिए पुष्प वर्षा की गई, साथ ही केक भी काटा गया। सभी ने तालियों की गड़गड़ाहट से माहौल को उल्लासपूर्ण बना दिया। साहित्य नव सृजन संस्था की संस्थापिका अनुपमा पाण्डेय भारतीय ने संस्था की एक वर्ष की गतिविधियों एंव उपलब्धियों को विडिओ क्लिप के जरिये मंच पर साझा किया ।

संस्था के अध्यक्ष ओंकार त्रिपाठी ने मंचासीन अतिथियों को काव्य पाठ के लिए आमंत्रित किया। सर्वप्रथम प्रसिद्ध गीतकार डॉक्टर राजीव पाण्डेय ने काव्य पाठ किया। उन्होंने हिन्दी को समर्पित गीत पढ़ा:

मृगनयनी के नयन लजीले, नगर वधु वैशाली से,

प्रिय प्रवास से राधा नाची, दिए उलाहने आली से,

फटी पुरानी धोती में भी, धनिया के सोलह श्रृंगार,

पाया हिन्दी ने विस्तार।

उसके बाद देश के जाने माने शायर शिवकुमार बिलगरामी ने संस्था के एक वर्ष के कार्य की सराहना करते हुए संस्था के उज्ज्वल भविष्य की कामना की। उन्होंने अपने एक मशहूर शेर –

तुम मेरे साथ कोई दिन ये सियासत भी करो

मुझसे नफ़रत भी करो मुझसे मुहब्बत भी करो

आपके दिल की अदालत में मुक़दमा है मेरा

मेरे मुंसिफ़ भी रहो अपनी वक़ालत भी करो

से शुरुआत की और अपना काव्य पाठ इन पंक्तियों से समाप्त किया :

अपनों से न ग़ैरों से कोई भी गिला रखना

आँखों को खुला रखना होठों को सिला रखना

मासूम बहुत हो तुम दुनिया की निगाहों में

तकलीफ़ उठाकर भी चेहरे को खिला रखना

बिलगरामी जी के काव्य पाठ से महफिल वाह वाह कर उठी।

तदोपरांत डॉक्टर रमा सिंह जी ने अध्यक्षीय काव्य पाठ किया। उनका एक शेर –  आग से तप कर जो निकला वो रमा कंचन हुआ, बात तो सच थी मगर ये देर से माना सभी ने।

उन्होंने हिन्दी के विकास की बात करते हुए कहा कि साहित्यकारों का दायित्व है कि समय-समय पर साहित्यिक पाठशालाओं का आयोजन करते रहें। हिंदी को विश्व की प्रथम भाषा बनाए जाने के लिए साहित्यकारों से योगदान देने के लिए कहा।

संस्था के अध्यक्ष ओंकार त्रिपाठी ने सभी अतिथियों एवम् संस्था के प्रति अपने उदगार कुछ इस प्रकार प्रकट किए:

शब्द शब्द राग भरा, स्नेह अनुराग भरा

पुष्प में पराग भरा सादर अभिनंदन है।

संचालिका अनुपमा ने शुभकामना संदेश में कहा:

साहित्य नव सृजन में,

नित नव रचनाओं का सृजन रहे।

काव्य पटल धन्य रहे,

शब्द पुष्पों का नित अर्पण रहे।

साहित्य शिल्पियों के काव्य पाठ ने वार्षिकोत्सव में रंग जमा दिया। पटल के भी सक्रिय एवम् नवनिर्वाचित सदस्य बृज माहिर, गार्गी जी, देव जी ने भी अपनी काव्य प्रस्तुति दी।

इसके बाद सभी अतिथियों एवम् संस्था के वरिष्ठ कवियों को साहित्य जगत में विशिष्ट योगदान के लिए संस्था ने साहित्य रत्न सम्मान से सम्मानित किया एवम् संस्था के सक्रिय रचनाकारों को साहित्य गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया। इसमें गार्गी कौशिक,  देव शर्मा देव, बृज माहिर, डॉक्टर शैल बाला अग्रवाल, अटल मुरादाबादी, विधाशंकर अवस्थी, राजेश नवोदयी, भोला दत्त जोशी, शरद जोशी शलभ, कृष्ण कुमार दुबे, अंजना शर्मा, अंजू अग्रवाल, अतुल कास्ट, सोनिया प्रतिभा तानी, अर्चना दुबे, सोनम यादव आदि सम्मलित थे।

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