अनिश्चितकालीन धरने के तीसरे दिन माले विधायकों ने किया संबोधित, कानून की वापसी तक आंदोलन जारी रखने का आह्वान, कारपोरेटों के दफ्तर में बैठकर आनन-फानन में बनाए गए किसान विरोधी कानून,
धान खरीद के सवाल पर बिहार सरकार को घेरा.
विजय शंकर
पटना । अखिल भारतीय किसान महासभा के बैनर से पटना के गर्दनीबाग में चल रहे किसानों के अनिश्चितकालीन धरने के आज तीसरे दिन बिहार विधानसभा में भाकपा-माले के विधायक दल के नेता महबूब आलम, दरौली से विधायक व अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजूदर सभा के सम्मानित अध्यक्ष सत्यदेव राम और पालीगंज से माले के युवा विधायक संदीप सौरभ संबोधित करने पहुंचे । इस मौके पर धीरेन्द्र झा, कृपानारायण सिंह सहित सैंकड़ों किसान कार्यकर्ता आज भी क्रमिक धरने पर डटे रहे ।
धरना को संबोधित करते हुए माले विधायक महबूब आलम ने कहा कि किसानों का आंदोलन अब बिहार के कोने-कोने में फैल रहा है । भोजपुर से लेकर कटिहार तक किसानों का अनिश्चितकालीन धरना जारी है और भाजपा-जदयू की बोलती बंद है । भाजपा के लोग कहते हैं कि बिहार में किसान आंदोलन है ही नहीं । बिहार तो किसान आंदोलन की वह सरजमीं है जहां किसानों के साथ-साथ कृषक मजदूरों का भी बड़ा हिस्सा आंदोलन के मैदान में उतर गया है । यह आंदोलन अब किसानों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसकी आंच अब चारों तरफ फैल चुकी है. भाजपा के लोग जितनी कोशिश कर लें, इस बार किसानों ने भाजपा को पीछे धकेलने के लिए हर तरह से मोर्चेबंदी कर ली है ।
खेग्रामस के सत्येदव राम ने कहा कि बिहार व देश में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में खेत मजदूर व ग्रामीण मजदूर पूरी तरह एकजुट हैं । ग्रामीण मजदूरों का समर्थन हासिल कर यह किसान आंदोलन व्यापक हो गया है । इन काले कानूनों के कारण देश की खेती बर्बाद हो जाएगी और इसकी सबसे अधिक मार छोटे किसानों व खेतिहर मजदूरों पर ही पड़ेंगे । एफसीआई के खत्म हो जाने से जनवितरण प्रणाली खत्म हो जाएगी और देश में खाद्य सामग्री की कालाबाजरी बढ़ जाएगी. इसलिए ये कानून किसानों के साथ-साथ मजदूर वर्ग के जीवन को भी बुरी तरह प्रभावित करने वाले हैं । बिहार में आज किसानों का धान नहीं खरीदा जा रहा है । पैक्स अध्यक्षों की मनमानी चल रही है । बिचैलियों की पौ बारह है और दूसरी ओर सरकार ने धान खरीद की तिथि भी 31 मार्च से घटाकर 31 जनवरी कर दिया है, जो सरासर अन्याय है ।
पालीगंज विधायक संदीप सौरभ ने कहा कि ये कानून अंबानी-अडानी के दफ्तर में बैठकर संसद की हत्या करके पास किया गया है । ये किसानों को गुलाम बना लेने वाले कानून है। हम किसी भी हद तक जाकर कानून का विरोध करेंगे । आने वाले दिनों में आंदोलन और भी तेज होगा । दिल्ली के किसान आंदेालन के समर्थन में मजदूर शामिल हो गए हैं । छात्र-नौजवान पहले से ही मोर्चा संभाले हुए हैं । आजादी का नया आंदोलन आरंभ हो गया है. देश व किसानों की जीत होगी, सरकार को पीछे हटना होगा ।
अन्य वक्ताओं ने आगे कहा कि जैसे-जैसे एमएसपी पर आश्वासन बढ़ रहा है धान के दाम गिर रहे हैं । सरकार वार्ता तथा किसानों की समस्या को हल करने के प्रति गम्भीर नहीं है । जैसे-जैसे सरकार के एमएसपी के आश्वासन की बात तेज हो रही है, धान के दाम गिरते जा रहे हैं, जो अब 900 से 1000 रु. कुंतल बिक रहे हैं । धरना के माध्यम से खाद्य पदार्थों से एथेनॉल बनाने के फैसले की कड़ी निंदा की गई , इससे खाद्य असुरक्षा बढ़ेगा । बिहार में भंग कृषि उत्पादन बाजार समिति को बहाल नही कर रही है । व्यापी आह्वान पर भोजपुर, सिवान, अरवल, दरभंगा, भागलपुर, नालन्दा, गया, जहानाबाद, रोहतास, वैशाली आदि सभी जिलों में किसान धरना जारी है । इन धरनों में किसानों की भागीदारी लगातार बढ़ रही है. भोजपुर में किसान अपने धान के बोरे के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं, तो सिवान व समस्तीपुर में धरना की अनुमति नहीं दिए जाने के खिलाफ क्रमिक प्रतिवाद मार्च जारी हैं।