एनआईए कोर्ट ने एक को किया रिहा
वर्ष 2013 में नरेंद्र मोदी की सभा में ताबड़तोड़ हुए थे कई बम विस्फोट
बम विस्फोट की घटनाओं के बाद नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता में हुआ था इजाफा
विजय शंकर
पटना। वर्ष 2013 में पटना के गांधी मैदान सीरियल बम धमाके को लेकर एनआईए कोर्ट ने 10 में से 9 आरोपी को दोषी करार दिया है। जबकि एक आरोपी फखरुद्दीन को निर्दोष पाया है।
सूत्रों के मुताबिक दोषी पाए गए आरोपी में हैदर अली, नोमान अंसारी, मो मुजीबुल्लाह अंसारी, उमर सिद्दिकी, अजहरुद्दीन कुरैसी, अहमद हुसैन, मोहम्मद फिरोज आलम, मोहम्मद इफ्तिखार आलम व इम्तियाज अंसारी है। इन सभी 9 दोषियों को को 1 नवंबर को सजा सुनायी जायेगी।
मालूम हो कि पटना के गांधी मैदान में 27 अक्टूबर 213 को हुए बम ब्लास्ट मामले में ठीक आठ साल बाद आज फैसला आया हैै।
इसमें सभी 9 दोषियों को 1 नवंबर को सजा सुनाई जायेगी। इस केस की सुनवाई एनआइए के विशेष जज गुरुविंदर सिंह मल्होत्रा की कोर्ट कर रही है।
6 अक्टूबर 2021 को मामले में अंतिम बहस की सुनवाई पूरी करने के बाद विशेष जज ने अपना निर्णय सुनाने के लिए आज की तिथि निश्चित की थी।
दरअसल पटना के गांधी मैदान में 27 अक्टूबर 2013 को भाजपा की हुंकार रैली आयोजित थी।इस रैली के मुख्य वक्ता तत्कालीन गुजरात के सीएम और आज के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी थे।इसी रैली को टारगेट करके बम विस्फोट किए गए। पटना स्टेशन से लेकर गांधी मैदान तक एक के बाद 7, 8 सीरियल धमाके किए थे। इसमें इलाज में अभाव के कारण कुल 8 लोगों की मौत हो गयी थी और कई लोग घायल हो गये थे।
उस दिन पटना जंक्शन पर भी विस्फोट हुआ था. बम जंक्शन के शौचालय में फट गया था. इस घटना के बाद गांधी मैदान व पटना रेल थाने में केस दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में केस को एनआइए को सौंप दिया गया था।
उस समय प्रारंभिक जांच में समस्तीपुर के एक जदयू नेता के भी इस पूरे प्लानिंग में शामिल होने की बात उजागर हुई थी ।
उसी के बाद राजनीतिक हलकों में यह चर्चा होने लगी थी कि चुनावी लाभ के लिए ही यह प्रायोजित बम विस्फोट कराया गया था, क्योंकि सारे बम हल्के मामूली क्षमता के विस्फोट वाले ही थे । जिसमें फिर बड़े भीड़ भरे मैदान में भी अधिक जानमाल की क्षति नहीं हुई। सबसे खास बात यह थी कि बम विस्फोट के बाद भी मंच से कोई नेता बाहर नहीं उतरा और पूर्ववत भाषण का दौर चलता रहा। लेकिन भाजपा आईटी सेल ने इस घटना को भी खूब भुनाया और नरेंद्र मोदी को एक बहादुर नेता के रूप में पेश किया गया ।
बताया जाता है कि इस विस्फोटों का राजनीतिक लाभ सिर्फ नरेंद्र मोदी को हुआ और उनके लिए प्रधानमंत्री बनने का सपना आसान हो गया।