जमशेदपुर । सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (सीजीपीसी) के पूर्व प्रधान गुरमुख सिंह मुखे ने शनिवार को जेल से रिहाई के बाद गोलपहाड़ी गुरुद्वारा में माथा टेका और साकची गुरुद्वारा साहिब में अरदास किया। इनके साथ सीजीपीसी के चेयरमैन शैलेंद्र सिंह, प्रभारी प्रधान महेंद्र सिंह समेत हरविंदर सिंह मंटू, जसबीर सिंह पदरी आदि मौजूद थे।
गुरमुख सिंह मुखे ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि मेरी किसी से कोई दुश्मनी नहीं है। गुरुचरण सिंह बिल्ला से भी कोई दुशमनी नहीं है। वह भी समाज का है, हम समाज के लिए कार्य करेंगे। कुछ गलतफहमियां हैं, उसे दूर करने का प्रयास करेंगे। मुखे ने कहा कि मुझे न्यायालय पर भरोसा था। पहली प्रक्रिया में इंसाफ मिला है। जिस मामले में मुझे जेल भेजा गया, उस मामले से मेरा कोई लेना-देना नहीं है।
समाज और सिख समुदाय ने मुझे जिस पद के लिए चुना है, सभी मेरे अपने भाई हैं। कुछ लोगों ने गलतफहमी फैलाकर इस तरह का काम किया है। वैसे लोग कौम, पंथ की एकता के लिए काम करें। समाज के प्रबुद्ध बुद्धिजीवियों को मंथन करने की जरूरत है कि आखिर ऐसी घटनाएं क्यों हुई। इसका मूल कारण क्या है। समाज में ऐसी घटना ठीक नहीं है। अचानक सेवा करते-करते समाज एक दूसरे को नाजायज तरीके से फंसाने का षड्यंत्र रचने लगा है।
13 माह बाद जेल से छूटे: गुरमुख सिंह मुखे 13 महीने के बाद घाघीडीह सेंट्रल जेल से रिहा हुए। जेल गेट के बाहर समर्थकों ने मुखे का स्वागत किया। मुखे पर सिख प्रतिनिधि बोर्ड के अध्यक्ष गुरुचरण सिंह बिल्ला की हत्या के प्रयास की साजिश रचने का आरोप है। 16 दिसंबर को मुखे को झारखंड हाईकोर्ट से जमानत मिली थी। शुक्रवार को जमानत के आदेश की कॉपी जमशेदपुर व्यवहार को प्राप्त हुई। शनिवार को जमानत पत्र भरने के बाद रिहाई हो गई।