सुबोध
किशनगंज 30 अप्रैल । बिहार के सीमावर्ती जिला किशनगंज में शनिवार को डॉ. कलाम कृषि महाविद्यालय में एक दिवसीय चाय पर चर्चा कार्यक्रम सह कार्यशाला का आयोजन डॉ. .एन. सरवण कुमार की अध्यक्षता में आयोजित हुई।इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अथित कृषि मंत्री बिहार सरकार के अमरेन्द्र प्रताप सिंह दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया मौके पर मेजवानी में निदेशक उद्यान निदेशालय कृषि विभाग के नंद किशोर एवं जिलाधिकारी डां आदित्य प्रकाश आदि वरीय अधिकारी प्रमुख उपस्थित रहें।
कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि देश में हमारा राज्य पांचवें स्थान पर चाय उत्पादन या व्यवसाय में हैं।उन्होनें कहा कि असम, बंगाल ,तमिलनाडु,केरला के बाद हमारा राज्य हैं।लेकिन दुर्भाग्यवश आज तक टी बोर्ड में हमारा मेम्बरसीप भी नही है इसलिए टी बोर्ड के मेम्बर और निवेशकों के साथ आज चाय पर चर्चा कार्यक्रम में हमलोग उपस्थित हैं।
कृषि मंत्री ने कहा कि यहा के चाय कृषकों के आय को दोगुनी करने के साथ -साथ राज्य में कृषि विभाग अंतर्गत उद्यान निदेशालय द्वारा राज्य में उत्पादित चाय के प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए सराहनीय कदम उठाया गया है।
इस अवसर पर राज्य की चाय के प्रतीक के रूप में लोगो(Logo) को को भी जारी किया गया हैं।इससे यहा की उत्पादित एक प्रसंस्कृत चाय को पहचान मिलेगी।इस कार्यशाला में भारतीय चाय बोर्ड के साथ -साथ राज्य के चाय उत्पादक प्रतिनिधि भी शामिल हुए।
उल्लेखनीय है कि बिहार में 8000 हजार लाख किलो चाय किसानों के द्वारा 25 हजार एकड़ से अधिक भूमि में चाय की खेती हो रही है।यहा की मिट्टी में चाय की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु भी मिलती है ।वर्ष 1999 में भारतीय टी बोर्ड ने किशनगंज प्रखंड सहित ठाकुरगंज, पोठिया,बाहदुरगंज एवं दिघलबैंक प्रखंड में चाय की खेती के लिए पारम्परिक क्षेत्र घोषित किया था।पिछले 20 वर्षो में इस इलाके में चाय की खेती 75 लाख किलोग्राम तक पहुंच गया है और आज देश में पांचवें स्थान पर चाय उत्पादन में जाना जाता है।
