vijay shankar

पटना : समाहर्ता-सह-जिलाधिकारी, पटना डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने सभी निकासी एवं व्ययन पदाधिकारियों (डीडीओ) को माल और सेवा कर (जीएसटी) अधिनियम के प्रावधानों का अक्षरशः अनुपालन सुनिश्चित करने को कहा है। उन्होंने कहा कि कोई भी डीडीओ ऐसे कार्य संवेदकों/आपूर्तिकर्ताओं को भुगतान न करें जिनका जीएसटी निबंधन सस्पेंडेड/कैन्सिल्ड है। वे आज समाहरणालय स्थित सभाकक्ष में जीएसटी के संबंध में आयोजित प्रशिक्षण सत्र को संबोधित कर रहे थे। इसमंे विभिन्न विभागों के जिला-स्तरीय, अनुमंडल-स्तरीय तथा प्रखंड-स्तरीय डीडीओ उपस्थित थे। कार्यशाला में सभी डीडीओ को कार्य संवेदकों/आपूर्तिकर्ताओं को भुगतान करने से पहले जीएसटी अधिनियम के निर्धारित प्रावधानों एवं विहित प्रक्रिया की जानकारी दी गयी। वाणिज्य-कर विभाग के पदाधिकारियों द्वारा इसके बारे में विस्तार से बताया गया।

जिलाधिकारी ने कहा कि सभी डीडीओ द्वारा भुगतान से पहले सतर्कता बरता जाना आवश्यक है। विभिन्न विभागों, बोर्ड तथा निगम के पदाधिकारी कार्य संवेदकों/आपूर्तिकर्ताओं को भुगतान करने से पूर्व इस तथ्य का सत्यापन सुनिश्चित कर लें कि संबंधित कार्य संवेदक/ आपूर्तिकर्ता द्वारा जीएसटी अधिनियम के अंतर्गत अद्यतन विवरणियँा दाखिल कर दी गई हैं। उन्होंने कहा कि किसी करदाता के जीएसटी विवरणियों के दाखिला के सत्यापन के क्रम में ही व्यवसायी के लीगल/ट्रेड नाम, इफेक्टिव डेट ऑफ रजिस्ट्रेशन, कॉन्सटिच्यूशन ऑफ बिजनेस के बाद करदाता के जीएसटी निबंधन का स्टेटस-एक्टिव/सस्पेंडेड/कैन्सिल्ड- भी प्रदर्शित होता है। उन्होंने कहा कि निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी ऐसे कार्य संवेदकों/आपूर्तिकर्ताओं को भुगतान न करें जिनका जीएसटी निबंधन सस्पेंडेड/कैन्सिल्ड है। इसका अनुपालन नहीं किए जाने की स्थिति में महालेखाकार के अंकेक्षण दल द्वारा भी आपति दर्ज की जाती है। साथ ही यह राजस्व-हित के भी अनुकूल नहीं है।

सभी डीडीओ कार्य संवेदकों/आपूर्तिकताओं को भुगतान करने से पूर्व यह आश्वस्त हो लें कि उनका निबंधन GST PORTAL-WWW.GST.GOV.IN के सर्च टैक्सपेयर में एक्टिव दिख रहा हो तथा उनके द्वारा BGST/CGST ACT 2017 के अंतर्गत अद्यतन विवरणियाँ दाखिल कर दी गयी हों।

जिलाधिकारी ने कहा कि डीडीओ द्वारा जीएसटी टीडीएस के रूप में मात्र 2 प्रतिशत राशि की ही कटौती की जाती है, जबकि माल के बेसिक मूल्य के साथ कर की शेष राशि का भुगतान संबंधित संवेदक/आपूर्तिकर्ता को कर दिया जाता है। जीएसटी रजिस्ट्रेशन कैन्सिल/सस्पेंड होने के बाद संवेदक/आपूर्तिकर्ता को किए गए भुगतान के मामलों में विवरणियों के दाखिला एवं सरकारी खजाने में जीएसटी जमा होने की संभावना नगण्य होती है।

इस क्रम में यह भी उल्लेखनीय है कि जीएसटी प्रणाली में निबंधित करदाताओं द्वारा विवरणियाँ दाखिल करने पर ही राज्य को कर की प्राप्ति होती है।

अतः कार्य संवेदकों/आपूर्तिकताओं को भुगतान करने से पूर्व सभी निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी आश्वस्त हो लें कि उनके द्वारा माल और सेवा कर अधिनियम के अंतर्गत अद्यतन विवरणियाँ दाखिल कर दी गयी हैं।

इस कार्यशाला में सिविल सर्जन श्री श्रवण कुमार, वरीय प्रभारी पदाधिकारी (स्थापना)-सह-अपर समाहर्त्ता आपदा प्रबंधन श्री संतोष कुमार झा एवं अन्य भी उपस्थित थे।

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