धनबाद ब्यूरो

निरसा-(धनबाद): घर-घर शौचालय हो अपना ? यह नारा नरेंद्र मोदी द्वारा 2014 में दिया गया। स्वच्छ भारत मिशन अभियान के तहत तेजी से शौचालय निर्माण कार्य को जोड़ा गया जिसमें लक्ष्य रखा गया कि एक भी घर ऐसा ना हो जिसमें शौचालय ना हो पर सरकारी अधिकारियों की उदासीनता के कारण कहीं शौचालय बना तो पानी नहीं , कहीं सिर्फ गड्ढा खोद कर रख दिया गया, तो कहीं पैन तक नहीं बैठाया गया। अधिकांश में शौचालय दरवाजे भी गायब है। खानापूर्ति को लेकर मुखिया एवं जल सहिया ने मिलकर शौचालय निर्माण कराया । 2014 में जब केंद्र सरकार बदली तो बहुत तेजी से इस मिशन को अंजाम दिया गया। निरसा प्रखंड में प्रथम पेज में 12000 शौचालय बनाने का लक्ष्य रखा गया था। इसके बाद 3000 फिर 1200 लक्ष्य बनाया गया, जो अभी पूरा नहीं हुआ, कार्य चल रहा है। सरकार से वाहवाही के चक्कर में 2 अक्टूबर 2018 को निरसा मेहतपुर धनबाद जिला को ओडीएफ घोषित किया गया पर परिणाम आज भी सबके सामने है, लोग घर से बाहर शौच को जाते हैं। प्राय प्राय सभी पंचायतों में निर्माण कार्य आधे अधूरे हैं पर उपयोगिता प्रमाण पत्र एवं कागज कलम में पूरी तरह पूरे हो गए हैं। गरीब जनता भोले-भाले ग्रामीण अगर शौचालय की शिकायत कहीं करते हैं तो तमाम तरह की धमकियां भी दी जाती है कि सरकार से मिलने वाली सारी सुविधा से आपको वंचित कर दिया जाएगा। जिस कारण वह चुप हो जाते हैं।

प्रखंड परिसर से सटे निरसा खटाल में करीब 800 से 1000 लोगों की आबादी है पर शौचालय नाम मात्र के हैं । जो भी बने हैं, वह भी बेकार है उसमें गोइठा रखने का काम आता है।प्रखंड कार्यालय से मात्र एक सौ गज की दूरी में स्थित है। हड़िया जाम पंचायत का हाल भी काफी बुरा है । कई शौचालय में दरवाजे नहीं है, कईयों में छत और कईयों में पैन भी नहीं है। जब प्रखंड से स्टेप पंचायतों का ऐसा हाल है तो और दूर पंचायतों का हाल और भी दुर्लभ है ।

पूछने पर मुखिया कहते हैं कि 12000 में कैसा शौचालय बनेगा। इसमें अधिकारी को भी कमीशन देना पड़ता है। अगर अच्छा से बनाएंगे तो हमें क्या बचेगा ?

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