बंगाल ब्यूरो
कोलकाता। पश्चिम बंगाल पुलिस भर्ती बोर्ड की नियुक्ति से संबंधित मेरिट लिस्ट ने सोशल मीडिया पर विवाद खड़ा कर दिया है। इसकी वजह यह है कि 37 पुलिसकर्मियों की नियुक्ति हुई है जिनमें से 35 अल्पसंख्यक समुदाय के हैं। इस नियुक्ति में केवल अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को तरजीह देने को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।
आंकड़े बताते हैं कि इस बार विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोट बैंक वाम से तृणमूल कांग्रेस में स्थानांतरित हो गया है। और इसी का नतीजा है कि ममता बनर्जी को भारी जीत मिली है। इसलिए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद, ममता बनर्जी ने राज्य के मुसलमानों को आश्वासन दिया था कि उनकी नौकरियों में बढ़ोतरी होगी।
हालांकि, राज्य के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दावा किया, “इस नियुक्ति में कुछ भी अवैध नहीं था। सच्चर कमेटी की रिपोर्ट और उसके बाद के कई फैसलों की जांच के बाद राज्य में पुलिस महकमे में बड़े पैमाने पर मुसलमानों की भर्ती की जा रही है।”
जिस मेरिट लिस्ट पर सवाल उठाया गया है वह पुलिस में ओबीसी विभाग की है। पश्चिम बंगाल में ओबीसी के कुल 60 समूह हैं। इनमें से 72 मुस्लिम समूह हैं। ओबीसी-बी श्रेणी में मुसलमानों के लगभग 40 समूह हैं। इस प्रकार, ओबीसी श्रेणी में सूचीबद्ध 120 समूहों में से 112 मुस्लिम हैं। इस नियुक्ति का उद्देश्य राज्य में ओबीसी विभाग में रिक्त पदों को भरना था। सूची से पता चलता है कि एक या दो को छोड़कर सभी मुसलमान हैं। 2019 में भी ऐसा ही हुआ था।
शिक्षाविद् और पूर्व कुलपति डॉ. अचिंत्य विश्वास ने “हिन्दुस्थान समाचार” से कहा, “इस नियुक्ति के परिणामस्वरूप राज्य में पुलिस कार्रवाई निष्पक्ष रहेगी ऐसा कभी नहीं कहा जा सकता। यह फैसला राज्य सरकार की रणनीति नहीं, घोर अन्याय है। ओबीसी के नाम पर एक विशेष समूह को नौकरी के अवसर देने का मतलब हिंदुओं को मिलने वाले लाभों से वंचित करना है। क्या ओबीसी में हिंदू नहीं हैं? भर्ती होने की स्थिति में उनके नाम भी प्रकाशित किए जाएं।”
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और मेघालय तथा त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल तथागत रॉय से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस नियुक्ति के बारे में वह कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं।
भाजपा की सलाहकार समिति के अध्यक्ष और पार्टी की राज्य समिति के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर असीम घोष ने कहा, “ओबीसी का मुद्दा मेरे लिए बहुत स्पष्ट नहीं है। इसलिए मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता।”
बुद्ध धर्मंकुर सभा के अध्यक्ष और महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया के उपाध्यक्ष और ट्रस्टी हेमेंदु विकास चौधरी ने हिन्दुस्थान समाचार से कहा, “जिस तरह से मुसलमानों को ओबीसी कोटे के तहत नौकरी दी जा रही है, उससे हम बिल्कुल भी खुश नहीं हैं। इसको लेकर मैं पहले भी कई बार विरोध कर चुका हूं।”
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के बंगाल में मीडिया प्रभारी विप्लव रॉय ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया: “हालांकि, इस तरह की चौंकाने वाली नियुक्तियां पहले भी अलग-अलग समय पर हुई हैं। ओबीसी से जुड़े हिंदुओं को वंचित किया जा रहा है।”