बंगाल ब्यूरो

कोलकाता। एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले भारतीय फुटबॉलर तुलसीदास बलराम का निधन गुरुवार को कोलकाता के एक निजी अस्पताल में हो गया है। वह महानगर से 17 किलोमीटर दूर हुगली जिले के उत्तरपाड़ा में नदी किनारे एक फ्लैट में परिवार के साथ रहते थे। पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि 1962 के एशियाई चैंपियन को तबीयत बिगड़ने पर 26 दिसंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनको यूरिनरी इनफेक्शन की पुष्टि हुई थी। लगातार इलाज चल रहा था लेकिन हालत में सुधार नहीं हो रही थी। अपराह्न 2:00 बजे के करीब उन्होंने आखिरी सांस ली। परिवारिक सूत्रों ने बताया है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कहने पर पर राज्य के क्रीडा और युवा कल्याण मंत्री अरूप बिस्वास ने लगातार अस्पताल प्रबंधन से संपर्क रखा था और उनकी बेहतर चिकित्सा में मदद की थी। बलिराम के निधन पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी दुख जाहिर किया है और कहा है कि उनका जाना खेल जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।
तुलसीदास बलराम ने 1950 से 1960 के बीच चुन्नी गोस्वामी और पीके बनर्जी के साथ भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया था। इनकी तिकड़ी भारतीय फुटबॉल इतिहास के स्वर्ण युग के तौर पर जानी जाती है। वह भारतीय फुटबॉल टीम में सेंटर फॉरवर्ड और लेफ्ट विंग के तौर पर खेलते थे। तुलसीदास ने रोम ओलंपिक 1960 में जिस शानदार तरीके से फुटबॉल खेला था वह दुनिया के बेहतरीन खेलों में से एक के रूप में दर्ज है। टीम इंडिया उस साल ग्रुप ऑफ डेथ में थी। इसमें भारत के साथ हंगरी, फ्रांस और पेरु की टीम थी। पहला मैच भारतीय टीम को 1-2 से हारना पड़ा था लेकिन तुलसीदास ने 79 वें मिनट में शानदार गोल किया। कुछ दिनों बाद भारतीय टीम का मुकाबला फ्रांस से हुआ था उसमें भी बलराम ने बहुत अच्छा खेला था। बाद में उनकी सेहत बिगड़ने लगी थी और 1963 में खराब सेहत की वजह से उन्होंने खेल को अलविदा कह दिया था।

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