बंगाल ब्यूरो 

कोलकाता । केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी स्वास्थ्य बीमा योजना “आयुष्मान भारत” की तर्ज पर ममता बनर्जी सरकार द्वारा शुरू की गई स्वास्थ्य साथी योजना को सूबे के निजी अस्पतालों द्वारा तरजीह नहीं दिए जाने को लेकर राज्य सरकार सख्त हो गई है। विधानसभा चुनाव से पहले राजधानी कोलकाता समेत राज्य के अन्य हिस्सों में निजी अस्पतालों द्वारा स्वास्थ साथी कार्ड धारकों को बिना इलाज लौटाए जाने के बाद आलोचनाओं का शिकार हो रही ममता बनर्जी की सरकार ने साफ कर दिया है कि ऐसे निजी अस्पतालों का लाइसेंस रद्द किया जाएगा जो राज्य की स्वास्थ्य बीमा योजना के लाभुकों को बिना इलाज वापस लौटाएंगे।

इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग ने 10 से अधिक बिस्तर वाले सभी निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम को ‘स्वास्थ्य साथी’ योजना से जुड़ने का निर्देश दिया है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सूची में शामिल नहीं होने और ‘स्वास्थ्य साथी’ कार्ड धारक मरीजों का उपचार करने से मना करने पर चिकित्सा संस्थान का लाइसेंस रद किया जा सकता है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है, ‘‘स्वास्थ्य साथी योजना की सूची में शामिल नहीं होने और ‘स्वास्थ्य साथी’ कार्ड धारक मरीजों का इलाज करने से मना करने पर, पश्चिम बंगाल नैदानिक स्थापना पंजीकरण नियामक और पारदर्शिता कानून, 2017 का उल्लंघन माना जाएगा। इस कानून के तहत अस्पताल या नर्सिंग होम का लाइसेंस रद किया जा सकता है या पुनः नवीकरण नहीं किया जा सकता है।’’ ‘स्वास्थ्य साथी’ योजना की शुरुआत 2016 में की गयी थी। इसके तहत प्रत्येक परिवार को हर साल पांच लाख रुपये तक का बुनियादी स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान किया जाता है।

निजी अस्पतालों में जल्द ही राज्य सरकार स्वास्थ्य साथी कार्ड धारक मरीजों के लिए विशेष वार्ड बनाएगी। राज्य में स्वास्थ्य साथी कार्ड को लेकर मरीजों को लौटाने की घटना के बाद राज्य सरकार ने निर्णय किया है कि वह निजी अस्पतालों सहित सभी अस्पतालों में स्वास्थ्य विभाग बनाएगी ताकि मरीज को इधर-उधर भटकना न पड़े। विभाग से संपर्क करने की सुविधा मिल सके। सूत्रों ने बताया कि स्वास्थ्य साथी के लिए विशेष वार्ड बनाने वाले अस्पतालों को निगम अतिरिक्त जगह देगा । पहले से ही 1,536 निजी अस्पताल और नर्सिंग होम इस परियोजना की सुविधा लोगों को मिलने का दावा किया जा रहा है। इनमें 425 नए निजी अस्पताल और नर्सिंग होमों को शामिल किया गया है। बेड की संख्या में भी वृद्धि हुई है। सरकारी अनुमानों के अनुसार, परियोजना के लाभार्थियों के लिए सार्वजनिक और निजी अस्पताल-नर्सिंग होम के लिए पहले से ही 1,22,025 बेड मौजूद हैं।  हालांकि निजी अस्पतालों को लेकर सरकार के ये दावे खोखले साबित हो रहे हैं।

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