विजय शंकर
पटना । राज्य में बढ़ती बेरोजगारी ने बिहार सरकार के विकास के खोखले दावों की पोल खोल कर रख दी है । कोरोना महामारी के बावजूद बिहारी दूसरे राज्यों में पलायन को मजबूर हो रहे है । बिहार के श्रम मंत्री अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए अजीबों गरीब बयान देते है , इनका कहना है कि – ‘बेरोजगारी नया शब्द है । इनके हिसाब से और बच्चा माँ के पेट से अपना रोजगार लिखवा कर आता है। सच्चाई यह है कि बिहार का युवा मां के पेट के कारण नहीं सरकार के नाकारापन और गलत नीतियों के कारण बेरोजगार है ।

वहीं दूसरी ओर बीपीएससी, बीएसएससी हर साल वार्षिक नियुक्ति कैलेंडर तो जारी करती है पर सरकार उनपर अमल करना भूल जाती है और नियुक्ति की प्रक्रिया समय पर पूरी नहीं होती। लेकिन बिहार सरकार में नेताओं की बहाली की प्रकिया समय से पूरी होती है यानी जिस प्रकार चुनाव समय पर हो सकते है, उसकी प्रकार नौकरियों की प्रक्रिया समय पर क्यों पूरी नहीं होती ?

प्रदेश प्रवक्ता गुलफेशन यूसुफ कहा कि सरकार अपने 19 लाख रोजगार के वादे को भी भूल गई है जो बस एक चुनावी जुमला बन के रह गया । सरकार को बेरोजगारी को खत्म करना होगा और युवाओं का भविष्य बर्बाद होने से बचाना होगा।

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