बीआईए में देशरत्न डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद की स्मृति में राज्य का आर्थिक विकास पर व्याख्यान
विजय शंकर
पटना : बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (बीआईए) देश के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद स्मृति व्याख्यान का आयोजन कर डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद को श्रद्धा सुमन अर्पित किया। आज आयोजित स्मृति व्याख्यान डा0 एस0 सिद्धार्थ, अपर मुख्य सचिव वित्त विभाग-सह-प्रधान सचिव मुख्यमंत्री के द्वारा प्रस्तुत किया गया। व्याख्यान का शीर्षक राज्य का आर्थिक विकास था।
डा0 सिद्धार्थ ने कहा कि मुझे प्रसन्नता है कि आज मुझे इस अवसर पर व्याख्यान देने हेतु बीआईए द्वारा आमंत्रित किया गया है तथा देश के एक सपुत को श्रद्धा सुमन अर्पित करने का अवसर प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि डॉ0 राजेन्द्र बाबू देश के महान रहे हैं। उन्होंने अपने व्याख्यान में सरकार द्वारा पेश किए जाने वाले वार्षिक बजट के अंतर्गत राज्य के आर्थिक विकास पर अपनी बातों को रखा। उन्होंने कहा कि बजट तथा व्यय में ज्यादा अन्तर कभी भी सही नहीं होता। सरकार का व्यय पूर्णतः निर्भर करता है व्यय का स्रोत क्या है। क्योंकि व्यय ही अर्थव्यवस्था में गति प्रदान करती है। यदि बिहार के परिपेक्ष्य में देखा जाय तो राज्य में व्यय 2 लाख करोड़ बजट के माध्यम से होगा। व्यय का दूसरा स्रोत संस्थागत वित्त होता है, जिसके अंतर्गत बैंक तथा अन्य वित्तीय संस्थाऐं आति है, जिसके माध्यम से राज्य में व्यय होता है। तीसरा तो व्यय का साधन है वह है हमारे राज्य के श्रम शक्ति जो राज्य के बाहर जा कर अर्थ अर्जन कर रहे हैं। जिससे वे अपने राज्य में पैसा भेजते हैं जो राज्य के अर्थ व्यवस्था में प्रवाहित होता है। यदि देखा जाय तो संस्थागत वित्त जिसके माध्यम से वर्तमान में लगभग 1 लाख 30 हजार करोड़ का वित्तीय प्रवाह राज्य में हो रहा है। इसको और ज्यादा बढ़ाया जा सकता है क्योकि यह हमारे राज्य में बैंकों के सी.डी. रेसीयो जो लगभग 45 प्रतिशत है।
उन्होंने सरकार के विकास एजेंडा पर कहा कि सरकार का विकास का एजेंडा बिल्कुल केन्द्रित है। केन्द्रित विकास एजेंडा पर काम कर रही है जिसमें पर्यावरण, महिला सशक्तिकरण, शिक्षा, स्वास्थ, ग्रामीण विकास प्रमुख हैं। कृषि क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए सरकार प्रयत्नशील है। इसी कड़ी में कृषि रोडमैप बनाकर काम किया जा रहा है। यह भी सही है कि हमारे कृषि उत्पादों का राज्य में वैल्यू एडिशन कम है। कृषि का अर्थव्यवस्था में प्रतिशत के हिसाब से देखा जाय तो कम है। कृषि से सम्बध क्षेत्र पशु पालन, मत्सय पालन के क्षेत्र में सरकार का केन्द्रीत ध्यान है क्योंकि पशु पालन, मत्स्य पालन, दुग्ध उत्पादन के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति प्रदान किया जा सकता है। कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में भी राज्य में काफी काम हो रहे हैं। उन्होंने यह स्वीकार किया कि राज्य में विभिन्न तरह के विकासात्मक कार्य यथा उद्योग आदि के लिए भूखंड की सरकार के पास कमी है। लेकिन सरकार लैंड पुलिंग पॉलिसी बना कर इस दिशा में लैंड उपलब्धता के लिए प्रयत्नशील है जिससे कि विभिन्न तरह की विकासात्मक कार्यों के लिए भूमि की उपलब्धता सुलभ हो सके। राज्य में बड़े उद्योगों के लगने की बहुत ज्यादा संभावना न होने के मद्देनजर सरकार कूटिर एवं सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों पर प्राथमिकतासे काम कर रही है। खादी पर भी काफी काम हो रहा है। हमारे राज्य में मलवरी एवं तसर की उपलब्धता के मद्देनजर सरकार इस पर भी काम कर रही है।
व्याखन माला के उपरान्त प्रश्नोत्तर सत्र में सदस्यों द्वारा प्रश्न भी रखे गये। कार्यक्रम में एसोसिएशन बड़ी संख्या में सदस्यों के साथ अर्थशास्त्री डा0 नवल किशोर चौधरी, आद्री के सदस्य सचिव डा0 पी पी घोष पटना विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र की विभागाध्यक्षा डा0 सरोज सिन्हा आदि उपस्थित थे। मंच का संचालन कोषाध्यक्ष श्री मनीष कुमार तिवारी ने किया।