पूरे प्रस्ताव में रसोइयों का कहीं भी जिक्र नहीं होना चिंताजनक

बिहार ब्यूरो
पटना ।बिहार राज्य विद्यालय रसोईया संघ(ऐक्टू) ,बिहार राज्य विद्यालय रसोईया संघ (ऐटक) व बिहार राज्य मिड डे मील वर्कर्स यूनियन -रसोईया (सीटू) ,बिहार राज्य मध्यान्ह भोजन योजना कर्मचारी यूनियन (एआईयूटीयूसी) के नेताओं ने मध्यान्ह भोजन योजना का नाम बदल कर प्रधानमंत्री पोषण योजना करने का विरोध किया है। इन संगठनों ने इस योजना को पांच साल बढ़ाने की बात पर आश्चर्य व्यक्त किया ।
बिहार राज्य विद्यालय रसोईया संघ, ऐक्टू की महासचिव सरोज चौबे, बिहार राज्य विद्यालय रसोईया संघ , ऐटक के राज्य संयोजक डाक्टर रमाकांत अकेला, बिहार राज्य मिड डे मील वर्कर्स यूनियन , सीटू के विनोद कुमार, बिहार राज्य मध्यान्ह योजना कर्मचारी यूनियन, एआईयूटीयूसी के सूर्यकर जितेंद्र ने सरकार से सवाल किया कि क्या पांच साल में बच्चों का कुपोषण दूर हो जाएगा?
नेताओं ने यह भी सवाल किया कि इस प्रस्ताव जिसे आर्थिक मामलों की समिति ने मंजूरी दी है मध्यान्ह भोजन योजना चलाने के लिए स्वयं सहायता समूहों को प्राथमिकता दी जाएगी । तो फिर पूरे देश में लाखों की संख्या में कार्यरत रसोइयों का क्या होगा, इसके बारे में मौन साध लिया गया है। सरकार को इनके आर्थिक भविष्य की गारंटी करनी होगी।
24 सितंबर को आल इंडिया स्कीम वर्कर्स प्लेटफार्म के बैनर से आयोजित हड़ताल में रसोईया संगठनों ने मध्यान्ह भोजन योजना के एनजीओ करण न करने के लिए हड़ताल किया था और प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा गया , उसपर विचार करने की बजाय रसोइयों को ही बाहर करने का फरमान जारी कर दिया गया।
विद्यालय 16 अगस्त से ही खुल गए लेकिन विद्यालयों में भोजन बनना शुरू नहीं हुआ।
मध्यान्ह भोजन योजना सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार शुरू हुई थी और और बिहार में ढाई लाख रसोइया इस योजना में कार्यरत थीं , कोविड काल में उन्होंने जान की कुर्बानी देते हुए जनता की सेवा की , कोरेन्टाईन सेन्टरों में खाना बनाया जिसका भुगतान अभी तक नहीं किया गया।
अब सरकार उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। कई -कई महीने तक मानदेय के अनियमित भुगतान को झेलते हुए उन्होंने बच्चों व विद्यालय की सेवा की।
आगे नेताओं ने कहा कि यदि कहा कि सरकार यदि रसोइयों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करेगी तो रसोईया संगठन चुप नहीं रहेंगे, निर्णायक आंदोलन करने को बाध्य होंगें।

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