बिमल चक्रवर्ती
धनबाद : सरस्वती विद्या मंदिर सिनिडीह में संकुल स्तरीय आचार्य व्यक्तित्व विकास वर्ग का आयोजन किया गया। जिसमें सरस्वती विद्या मंदिर सिनीडीह, बाघमारा, तेतुलमारी एवं भूली नगर के 145 आचार्य एवं दीदी जी ने भाग लिया। सर्वप्रथम दीप प्रज्वलन कार्यक्रम संपन्न हुआ। जिसमें विद्यालय के सचिव अमरकांत झा, सिनीडीह संकुल के संयोजक डॉ. एस. के. एल. दास, बाघमारा कॉलेज के प्राचार्य रंजन कुमार , बाघमारा कॉलेज के प्रो. प्रताप नारायण पांडे, राम सुचित प्रसाद सिंह, धनबाद जिला व्यवस्था प्रमुख विनय कुमार पांडे, सिनीडीह के कोषाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद, सिनिडीह के संकुल प्रमुख सुनील कुमार सिंह, समिति सदस्य उत्तम गयाली, विद्यालय के उप प्राचार्य दुर्गेश नंदन सिन्हा, संगीत पर्यवेक्षक अशोक कुमार दुबे एवं पवन पांडे उपस्थित थे।
अपने उद्बोधन में विद्यालय के सचिव अमरकांत झा ने कहा कि यह व्यक्तित्व विकास वर्ग जो संकुल स्तर पर आयोजित है, इसमें विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं आयोजित की गई है, जिसमें चारों विद्यालयों के आचार्य भाग ले रहे हैं। हमारे भैया बहनों में सद्गुणों का विकास कैसे हो इसी के लिए इस वर्ग का आयोजन किया गया है।
उन्होंने कहा कि विद्या भारती योजना में पंचमुखी विकास पर जोर दिया जाता रहा है, जिसमें शारीरिक, प्राणिक, बौद्धिक, मानसिक एवं नैतिक विकास सम्मिलित है। जब तक उपरोक्त गुणों का विकास हमारे विद्यालय के छात्र-छात्राओं में नहीं होगा तब तक राष्ट्र का सपना साकार नहीं होगा। उन्होंने इसे पंचकोशीय विकास कहा। अपने उद्बोधन में संकुल प्रमुख एस. के. एल. दास ने कहा कि आचार्य किसी भी समाज का पथ प्रदर्शक होता है। समाज को एकीकृत करने में आचार्यों की महती भूमिका होती है। यदि आचार्य प्रयास करें तो समाज एवं राष्ट्र का चहुमुखी विकास होगा। अपने उद्बोधन में बाघमारा कॉलेज के प्राचार्य रंजन कुमार ने कहा कि विद्या भारती के छात्र एवं छात्राएं पूर्णतया अनुशासित एवं संस्कारित होते हैं, ऐसा मैं अनुभव ही नहीं वरन अपने महाविद्यालय में पढ़ने वाले विद्या भारती के छात्र-छात्राओं में देखता हूं। प्रारंभिक अवस्था से ही विद्या भारती के विद्यालयों में संस्कार युक्त शिक्षण विधि का प्रावधान रहा है। अपने उद्बोधन में सरस्वती विद्या मंदिर, सिनीडीह के प्राचार्य सह संकुल प्रमुख सुनील कुमार सिंह ने कहा कि इस आचार्य व्यक्तित्व वर्ग का आयोजन का प्रमुख उद्देश्य हमारे आचार्यों में नई शिक्षा नीति एवं विद्या भारती की नई योजनाओं को बताने के लिए है ताकि वे इसका प्रयोग कक्षा कक्ष में अधिक से अधिक करके भैया बहनों एवं समाज को जागरूक कर सकें। उन्होंने बताया कि वास्तव में पंचकोशीय विकास की अवधारणा तब सफल होगी जब हमारी अंतरात्मा का विकास होगा। उन्होंने कहा कि आज के बच्चे कल के भविष्य हैं जिनके द्वारा एक सफल राष्ट्र का निर्माण करना है तो आवश्यकता इस बात की है कि हम बच्चों के सर्वांगीण विकास पर बल दे। कार्यक्रम के अंत में विभिन्न प्रतियोगिताओं में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले आचार्य एवं दीदी जी को संकुल संयोजक, संकुल प्रमुख एवं विविध विद्यालयों से आए हुए प्रधानाचार्यो ने पुरस्कृत किया। आए हुए अतिथियों का परिचय विद्यालय के उप प्राचार्य दुर्गेश नंदन सिन्हा ने कराया।