डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस की पूर्व संध्या पर वर्चुअल विचार गोष्ठी 

विजय शंकर 

पटना : पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री और भाजपा सांसद रामकृपाल यादव ने भारतीय जनसंघ के संस्थापक अध्यक्ष, शिक्षाविद, प्रखरवक्ता और कुशल संगठनकर्ता डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस की पूर्व संध्या पर पटना ग्रामीण भाजपा के अध्यक्ष आशुतोष कुमार की अध्यक्षता में आयोजित वर्चुअल विचार गोष्ठी को संबोधित किया।
सांसद ने कहा कि डॉ॰ मुखर्जी  भारत की अखंडता और कश्मीर के पूर्ण विलय के दृढ सर्मथक थे।  धारा 370 को भारत की विफलता और शेख अब्दुाल्लाि का त्रिराष्ट्र का सिद्धांत बताया था। उस समय जम्मू कश्मीर का अलग झण्डा और अलग संविधान था। वहाँ का मुख्यमन्त्री प्रधानमन्त्री कहलाता था। जम्मू कश्मीर जाने के लिए परमिट लेना पड़ता था। उनका कहना था कि स्व्तंत्र भारत में भारतीय को अपने राज्यज में जाने के लिए परमिट क्यों लेना पड़ेगा। आजाद भारत में दो निशान, दो संविधान और दो प्रधान नहीं चलेगा।
संसद में अपने भाषण में डॉ॰ मुखर्जी ने धारा-370 को समाप्त करने की भी जोरदार वकालत की।  अगस्त 1952 में जम्मू की विशाल रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि या तो मैं आपको भारतीय संविधान प्राप्त कराऊँगा या फिर इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये अपना जीवन बलिदान कर दूँगा। उन्होंने तात्कालिन नेहरू सरकार को चुनौती दी तथा अपने दृढ़ निश्चय पर अटल रहे। अपने संकल्प को पूरा करने के लिये वे 8 मई 1953 को बिना परमिट लिये दिल्ली से ट्रेन से जम्मू कश्मीर की यात्रा पर निकल पड़े। प्रधानमंत्री नेहरू को पता था कि डा0 मुखर्जी बिना परमिट के जम्मूे कश्मी्र जा रहे हैं। वे दिल्ली  से कश्मीर जाने के क्रम में हर स्टेमशन पर रैली कर रहे थे, किसी ने नहीं रोका। जब वे 10 मई 1953 को कश्मीर पहुंचते हैं तो उन्हे  पब्लिक सेफटी एक्ट  के तहत गिरफतार कर पीर पंजाब के पहाडि़यों के पास निसाद बाग के एक कमरे में नजर बंद कर दिया जाता है। 23 जून 1953 को रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो जाती है। वे पर्सनल डायरी लिखते थे। उनकी तबियत खराब थी और उन्हें  एक इंजेक्शन दिया गया था। कहा जाता है कि डा0 मुखर्जी ने डाक्टर को मना किया था कि जो इंजेक्शन उन्हें दिया जा रहा है उससे उन्हें एलर्जी है फिर डाक्टार ने उनकी एक नहीं सुनी और वह इंजेक्शिन दे दिया और इंजेक्शन देने के कुछ घंटों में ही 23 जून को सुबह तीन बजकर 40 मिनट पर उनकी मौत हो गयी। सबसे आश्चर्य की बात है कि जिस दौर वे नजरबंद थे उस दौरान पंडित नेहरू कश्मी्र में एक सप्ताैह की छुटटी मनाने गये थे और अपने मंत्रीमंडल के पूर्व सहयोगी को हाल चाल लेना भी जरूरी नहीं भी समझा।
उनके मृत्यु  के 66 साल के बाद 2019 में भारतीय जनता पार्टी का एक आम कार्यकर्ता जो प्रधानमंत्री के पद पर था और एक गृह मंत्री के पद पर था तो 5 अगस्त 2019 को राज्यसभा में एक ऐतिहासिक जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 पेश किया जिसमें जम्मू कश्मीर राज्य से संविधान का अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य का विभाजन जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख के दो केंद्र शासित क्षेत्रों के रूप में करने का प्रस्ताव लाकर जम्मू  कश्मीर का भारत में पूर्ण विलय कर डा0 मुखर्जी को सच्ची श्रद्धांजिली दी । यह हम सभी भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता के गर्व और सम्माान की बात है। भाजपा  राष्ट्रनिर्माण में अपने कार्यकर्ताओं के बलिदान को नहीं भुलाती है।

गोष्ठी को प्रभारी और पूर्व विधायक मिथिलेश तिवारी,  जिला प्रभारी अचल सिन्हा, बिक्रम के पूर्व प्रत्याशी अतुल कुमार, मनेर के पूर्व प्रत्याशी निखिल आनंद ने भी संबोधित किया। मौके पर प्रदेश कार्यसमिति सदस्य अजित सिंह, पूर्व प्रदेश कार्यसमिति रणधीर यादव, जिला महामंत्री कौशल सिंह, उपाध्यक्ष धर्मेन्द्र, नीरज कुमार, पुरषोत्तम कुमार, ज़िला मंत्री रविश सिंह, राजकिशोर शर्मा, अमरजीत चौहान, संजीव पांडेय, बहादुर शर्मा, मंडल अध्यक्ष राजेश, कुमुद मिश्रा, राजू यादव, धीरेन्द्र कुमार उपस्थित थे।

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