विजय शंकर 

पटना: आपातकाल को कांग्रेस के तानाशाही रवैए का जीवंत स्वरूप बताते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने आज कहा कि 25 जून 1975 की तारीख को भारतीय लोकतंत्र के काले अध्याय के तौर पर हमेशा याद रखा जाएगा. यह वही तारिख है जिस दिन सत्ता के लिए कांग्रेस ने तमाम राजनीतिक मर्यादायों का मान-मर्दन करते हुए नादिरशाही तरीके से विरोध में उठने वाले हर स्वर का दमन करने का क्रूर प्रयास किया था. यह काल-खंड इतना भयावह था कि आज भी उसके बारे में पढ़कर रोयें सिहर जाते हैं.

उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी ने अपने विरोधियों के दमन के लिए मीसा कानून का जम कर दुरुपयोग किया था. इसी के तहत 25 जून की रात को 1.30 बजे जयप्रकाश नारायण को गिरफ्तार कर लिया गया था और बाद में इसी को मोहरा बनाते हुए विपक्ष के तमाम नेताओं को सलाखों के पीछे कर दिया गया जिनमें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर लाल कृष्ण आडवाणी, जार्ज फर्नांडीज, अरुण जेटली, रविशंकर प्रसाद तक शामिल थे.

डॉ जायसवाल ने कहा कि कांग्रेस द्वारा मीसा कानून को इतना कड़ा कर दिया गया कि न्यायपालिका में बंदियों की कहीं कोई सुनवाई नहीं होती थी. कई बंदी तो ऐसे भी थे जो पूरे 21 महीने के आपातकाल के दौरान जेल में ही कैद रहे. इस कानून के तहत सभी प्रकार के विरोध प्रदर्शन पर पाबंदी लगा दी गई, यहां तक कि आम आदमी को भी नहीं बख्शा गया. गिरफ्तार लोगों की संख्या जेलों की सीमा से अधिक थी, ऐसे में कई लोगों को सिर्फ खंभे और जंजीरों से बांध कर शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया. पुलिस ने कितनों को बेहोश होने तक लाठियों से पीट-पीट कर उनके हाथ, पैर तक तोड़ दिए थे, वहीं पुलिस की गोलीबारी में भी कई लोग मारे गए.

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि समय बदल गया है, लेकिन कांग्रेस की आपातकालीन मानसिकता नहीं बदली है, वो आज भी जारी है. आज भी इनके शासित राज्यों में विरोधियों और मीडिया के दमन की खबरें आती रहती हैं. सत्ता प्राप्ति के लिए साम-दाम-दंड-भेद का इनका खेल बदस्तूर जारी है. अपने फायदे के लिए संवैधानिक संस्थाओं का अपमान करना और लोकतांत्रिक मर्यादाओं को धूल-धूसरित करने का इनका खेल अभी भी चल रहा है. देश के हित लिए ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ का नारा अब महज नारा नहीं रहा बल्कि जन-जन का संकल्प बन चुका है.

विरोधी दलों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान पटना यूनिवर्सिटी के छात्रों ने जिनको बिहार छात्र संघर्ष समिति का अध्यक्ष चुना था आज वही कांग्रेस की गोदी में खेल रहे हैं. उस समय कांग्रेस ने परिवारवाद या घोटाले जैसे भ्रष्टाचार के जितने मापदंड स्थापित किये थे आज वह सभी उनके द्वारा किये जा रहे हैं. उनकी यह स्थिति देखना बहुत ही दुखद है.

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