सुभाष निगम
नयी दिल्ली । कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आज राज्यसभा में कहा कि कृषि कानूनों को लेकर विरोध केवल एक राज्य तक ही सीमित है और किसानों को उकसाया जा रहा है । राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान तोमर ने कहा, ”मैं प्रतिपक्ष का धन्यवाद करना चाहूंगा कि उन्होंने किसान आंदोलन पर चिंता की और आंदोलन के लिए सरकार को जो कोसना आवश्यक था उसमें भी कंजूसी नहीं की और कानूनों को जोर देकर काले कानून कहा । मैं किसान यूनियन से 2 महीने तक पूछता रहा कि कानून में काला क्या है।” लेकिन किसानों ने बताया नहीं कि कानून में काला क्या है । सदन में चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि कई बार विपक्ष की तरफ से ये बात सामने आती है कि आप कहते हैं कि सब मोदी जी की सरकार ने किया है पिछली सरकारों ने तो कुछ भी नहीं किया। मैं इस मामले में ये कहना चाहता हूं कि इस प्रकार का आरोप लगाना उचित नहीं है। कृषि मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने सेंट्रल हॉल में अपने पहले भाषण में और 15 अगस्त में भी उन्होंने कहा था कि मेरे पूर्व जितनी भी सरकारे थी उन सबका योगदान देश के विकास में अपने-अपने समय पर रहा है ।
कृषि मंत्री ने कहा कि भारत सरकार कानूनों में किसी भी संशोधन के लिए तैयार है पर किसान संशोधन की कोई बात नहीं करते बल्कि उनके वापसी की रट लगाये बैठे हैं । इसके मायने ये नहीं लगाए जाने चाहिए कि कृषि कानूनों में कोई गलती है । पूरे एक राज्य में लोग गलतफहमी का शिकार हैं । किसानों को इस बात के लिए बरगलाया गया है कि ये कानून आपकी जमीन ले जाएंगे। जिस समय कृषि मंत्री राज्यसभा में बोल रहे थे उस समय विपक्ष के ज्यादातर सांसद मौजूद नहीं थे ।
उन्होंने कहा, किसान की आमदनी दोगुनी हो इसके लिए सरकार ने प्रधानमंत्री किसान योजना के माध्यम से 6,000 रुपये का योगदान दिया। आज हम ये कह सकते हैं कि दस करोड़ 75 लाख किसानों को 1,15,000 करोड़ रुपये डीबीटी से उनके अकाउंट में भेजने का काम किया गया है।
मनरेगा का जिक्र करते हुए तोमर ने कहा, ‘कुछ लोग मनरेगा को गड्ढों वाली योजना कहते थे। जब तक आपकी सरकार थी उसमें गड्ढे खोदने का ही काम होता था। लेकिन मुझे ये कहते हुए प्रसन्नता और गर्व है कि इस योजना की शुरुआत आपने की लेकिन इसे परिमार्जित हमने किया ।