विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय में मुख्य अतिथि के रूप में छात्र एवं छात्राओं से विडियो कॉन्फ्रेंसिंग

विजय शंकर
पटना । हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (से०) के राष्ट्रीय महासचिव उमाकांत चौधरी ने बताया कि विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर हमारी पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव, बिहार सरकार में लघु जल संसाधन एवं अनुसूचित जाति/जनजाति कल्याण मंत्री डॉक्टर संतोष कुमार सुमन ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय में मुख्य अतिथि के रूप में छात्र एवं छात्राओं से विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़ कर आने वाले पीढ़ी के लिए पर्यावरण को कैसे सुरक्षित लौटाया जाए और आज युवाओं को संकल्पित किया कि पर्यावरण को कैसे सुरक्षित रखें । कार्यक्रम को लेकर हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति महोदय को धन्यवाद दीया।
मानवता के अस्तित्व के लिए पर्यावरण की रक्षा आवश्यक- प्रो. आर. सी. कुहाड़
-हकेवि में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर कार्यशाला का हुआ आयोजन
-बिहार सरकार में मंत्री डॉ. संतोष कुमार सुमन ने कहा पर्यावरण की रक्षा में युवाओं की भूमिका महत्वपूर्ण
पृथ्वी हर मनुष्य की आवश्यकता की पूर्ति कर सकती है लेकिन किसी के लालच की नहीं। महात्मा गांधी की इस कथन में छिपे संदेश के माध्यम से हमें पर्यावरण के महत्व समझते हुए और इसको बचाने व संरक्षित करने का संकल्प लेना चाहिए। पर्यावरण की रक्षा से ही मानवता का अस्तित्व सुरक्षित रह सकता है इसलिए अब समय आ गया है हम इसके लिए विशेष रूप से प्रयास करें और इकोसिस्टम रिस्टोरेशन के लिए कार्य करें, यह विचार हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ के कुलपति प्रो. आर. सी. कुहाड़ ने शनिवार को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आयोजित ऑनलाइन कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। कार्यशाला में बिहार के लघु सिंचाई, जल संसाधन विकास एवं अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण विभाग के मंत्री डॉ. संतोष कुमार सुमन ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। साथ ही इंस्टीटयूट ऑफ इंवायरमेंट एंड डवलपमेंट, यूनिवर्सिटी कबांग्सां मलेशिया की विजिटिंग प्रोफेसर रहमा एल्फिथ्री, गलैक्सी मेगनम लिमिटेड एमईपी विभाग के प्रमुख इंजीनियर अशोक बंसल, नेशनल इंस्टीटूयट ऑफ टेक्नोलॉजी, सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर बलदेव सेतिया विशेषज्ञ वक्ता के रूप में उपस्थित रहे।
विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी तथा पर्यावरण अध्ययन विभाग के तत्वावधान में आईआईटी, रूड़की, राष्ट्रीय सेवा योजना व यूथ रेडक्रॉस के सहयोग से इकोसिस्टम रिस्टोरेशन विषय पर आयोजित इस कार्यशाला की शुरूआत विश्वविद्यालय के कुलगीत से हुई। इसके पश्चात विश्वविद्यालय की प्रगति पर आधारित डाक्यूमेंट्री फिल्म दिखाई गई। कार्यशाला की संयोजक प्रो. नीलम सांगवान ने स्वागत भाषण दिया और विषय के महत्व से अवगत कराया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. संतोष कुमार सुमन ने अपने संबोधन में प्रमुख रूप से पर्यावरण की रक्षा में युवाओं की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया और कहा कि आज की युवा पीढ़ी को पर्यावरण की रक्षा के महत्व को समझना होगा और उसके लिए हर मोर्चे पर प्रयास करना होगा। उन्हें विशेष रूप से इसके लिए जारी विभिन्न अभियानों से जुड़कर पर्यावरण की रक्षा के लिए काम करना होगा। डॉ. सुमन ने आगे कहा की बिहार देश का पहला राज्य है जहां जल जीवन हरियाली प्रोग्राम के अन्तर्गत जल संरक्षण सहित पर्यावरण को बचाने की दिशा में आगामी पांच सालों के लिए कार्ययोजना तैयार कर कार्य किया जा रहा है। डॉ. सुमन ने इस मौके पर प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण और उसके दुष्प्रभावों पर भी चिंता व्यक्त की और कहा कि हमें इससे निबटने के लिए व्यापक पैमाने पर प्रयास करने होंगे। उन्होंने हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय में विकसित हरित क्षेत्र की सराहना की और इसके लिए कुलपति प्रो. आर. सी. कुहाड़ की प्रशंसा भी की।
इसी कड़ी में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.सी. कुहाड़ ने पर्यावरण के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पारिस्थितिक तंत्र की व्यवस्था में सुधार की दिशा में व्यापक स्तर पर बदलाव व प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि हरित क्षेत्र के विकास, शहरों में हरियाली के विस्तार सहित खानपान की आदतों में बदलाव और नदियों व तटीय क्षेत्रों की स्वच्छता पर मिलकर काम करना होगा। प्रो. आर. सी. कुहाड़ ने विश्व पर्यावरण दिवस की शुरूआत और उसके उद्देश्यों से भी प्रतिभागियों को अवगत कराया और कहा कि हमें अब विस्तृत कार्ययोजना तैयार कर पर्यावरण के समक्ष मौजूद विभिन्न चुनौतियों का समाधान खोजना होगा और उस पर मिलकर काम करना होगा। कुलपति ने इस अवसर पर भारत के वन पुरुष (फॉरेस्ट मैन) कहे जाने वाले श्री जादव मोलाई पायेंग, श्री सुंदरलाल बहुगुणा, श्रीमती देविका अम्मा, श्रीमती प्रभा देवी आदि का भी उल्लेख करते हुए पर्यावरण संरक्षण में उनके योगदान पर भी प्रकाश डाला। कुलपति ने इस अवसर पर विश्वविद्यालय में हरित क्षेत्र पर भी प्रकाश डाला और बताया कि किस तरह से विश्वविद्यालय में निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। कुलपति ने इस अवसर पर कहा कि दुनिया के हैं देवता तीन जल, जंगल और जमीन। कुलपति ने विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या में पौधारोपण कर सभी को पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। इस आयोजन के अंतर्गत विश्वविद्यालय में डॉ. संतोष कुमार सुमन के नाम से भी त्रिवेणी लगाई गई। कार्यक्रम में शामिल सभी प्रतिभागियों व अतिथियो ने इस अवसर पर पर्यावरण की रक्षा की शपथ ली और पांच पौधे हर साल लगाने और उनकी रक्षा करने का संकल्प भी लिया।
कार्यक्रम में शामिल प्रोफेसर रहमा एल्फिथ्री ने कहा कि पर्यावरण के सतत़ विकास के लिए प्रकृति के साथ अच्छे संबंध स्थापित करने, विषय पर केंद्रित व्यााख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने अपने संबोधन में बताया कि हम किस तरह से पर्यावरण की रक्षा हेतु ऐसे प्रयासों को लागू कर सकते है जिनकी मदद से पर्यावरण की रक्षा संभव है और उनसे अधिकतम लाभ को भी प्राप्त किया जा सकता है।
इसी क्रम में विशेषज्ञ वक्ता इंजीनियर अशोक बंसल ने अपने सम्बोधन में बताया कि वातावरण की जो समस्याएं हैं वह पिछले दशक के तेज तकनीकी विकास का परिणाम हैं। उन्होंने बताया कि कैसे स्वच्छ पानी पारिस्थितिकी तंत्र अरबों लोगों को जीवन प्रदान करता है जन्तु और वनस्पति को संरक्षित करता है लेकिन बढ़ते हुए प्रदूषण के कारण इन सभी जीव-जंतुओं पर खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने सलाह दी कि लोग जो भी सामग्री का उपयोग करें वह वातावरण के अनुकूल हो जिससे कि हमारी जरूरत भी पूरी हो और वातावरण भी स्वच्छ रहे।
डॉ. बलदेव सेतिया ने अपने विशेषज्ञ वक्ता ने कहा कि विद्युत संयंत्रों से उत्पादन की जाने वाली विद्युत जिस कीमत पर पैदा की जा रही है वह बहुत महंगी पड़ रही है, उससे वातावरण को बहुत क्षति हो रही है। हम सबको मिलकर उसके लिए प्रयास करने होंगे ताकि विद्युत उत्पादन भी हो सके और वातावरण का प्रदूषण कम से कम हो। उन्होंने उपयोग में लाए गए पानी का पुनः उपयोग करके इस समस्या के समाधान के लिए राह भी बतायी।
कार्यक्रम में राज्य, देश और कई देशों मलेसिया,सूडान, अबुधबी, यूनाइटेड स्टेट ऑफ़ अमेरिका, खज़गिस्तान, पोलैंड, रशिया आदि देशों के 5700 से अधिक प्रतिनिधि इस कार्यक्रम में ऑनलाइन सहभागी रहेl
कार्यशाला के अंत में धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय की एनएसएस इकाई के समन्वयक डॉ. दिनेश चहल ने प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि इस आयोजन में विभिन्न माध्यमों से पांच हजार से अधिक प्रतिभागी देश-विदेश से जुड़े । कार्यक्रम के सफल आयोजन हेतु उन्होंने संयोजक प्रो. नीलम सांगवान, डॉ. अजय कुमार बंसल, डॉ. विकास गर्ग, आयोजन समिति के डॉ. राजेश कुमार दुबे, डॉ. फूल सिंह, डॉ. कल्पना चौहान, डॉ. मनोज सिंह, डॉ. राकेश कुमार, कोर्डिनेटर डॉ. नीरज कुमार, डॉ. मनीष खंगवाल, डॉ. विकास कुमार, डॉ. पिंकी अरोड़ा, डॉ. अनूप यादव, डॉ. मनोज कुमार तथा स्टूडेंट कोर्डिनेटर अक्षत कांत, अस्मित बर्मन व रमेश बिश्नोई का धन्यवाद व्यक्त किया।

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