मंडल युग में जातीय संघर्षों को धता बता कर नयी मिसाल कायम की शशि यादव ने
प्रगतिशील सिद्धांतों के अनुरूप जातीय बंदिशों कट्टर दकियानूसी परंपराओं को ध्वस्त किया
विचारधारा और पसंद के विजातीय युवक से शादी कर समाज को चौंकाया
महिला अधिकारों व स्कीम वर्कर्स की चर्चित नेत्री रहीं का- शशि यादव
विश्वपति
नव राष्ट्र मीडिया
पटना।
बिहार महिला आंदोलन और स्कीम वर्कर्स-आशा, रसोइया और आंगनबाड़ी संघर्षों की चर्चित नेत्री शशि यादव बिहार विधान परिषद् 2024 की द्विवार्षिक चुनाव में भाकपा-माले की ओर से महागठबंधन की प्रत्याशी घोषित की गई हैं। वे भाकपा-माले की ओर से विधान परिषद् में जाने वाली पहली प्रतिनिधि होंगी। उनके निर्वाचन होना तय है।
का- शशि यादव किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। वे पटना के लोकतांत्रिक आंदोलन में हमेशा दिखने वाली महिला नेता हैं।
मूलतः मुंगेर की रहने वाली और जमशेदपुर में एक टेल्को मजदूर पिता की संतान शशि यादव, बिहार में क्रांतिकारी महिला आंदोलन की एक सशक्त चेहरा रही हैं। जमशेदपुर में छात्र-जीवन के दौरान ही ऑल बिहार स्टूडेंट्स एसोसिएशन (एबीएसयू, आगे चलकर आइसा) से अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत करनेवाली शशि यादव ने बिहार की ग्रामीण महिलाओं से लेकर कामकाजी महिलाओं के लिए कई जुझारू आंदोलनों का नेतृत्व किया । आंदोलनों के जरिए उन्होंने अपनी अलग पहचान बनायी है। मंडल कमीशन के बाद उठे चरम जातीय विद्वेष, भीषण जातीय संघर्ष, कट्टरता और सामाजिक उथल-पुथल के दौर में उन्होंने सामाजिक बंधनों को तोड़ते हुए अंतरजातीय विवाह किया। पार्टी के भीतर ही छात्र आंदोलन के सहयोद्धा का- धीरेंद्र झा से शादी की।
ये दोनों भाकपा-माले के पूर्णकालिक कार्यकर्ता हैं और फिलहाल पार्टी की शीर्ष कमिटी पोलित ब्यूरो के सदस्य हैं। उनकी मां भी महिला आंदोलन की कार्यकर्ता रही हैं। पूरा परिवार पिछले चार दशकों से भाकपा-माले से जुड़ा रहा है। जमशेदपुर में ही उन्होंने अपने पॉलिटिकल एक्टिविज्म की शुरुआत स्टूडेंट ऐक्टिविस्ट के बतौर की।
अपने राजनीतिक जीवन में वे 1997 से लेकर 2023 तक लगातार ऐपवा की बिहार राज्य सचिव रहीं- इस दौरान उन्होंने पार्टी की ओर से मिली हरेक जवाबदेहियों का कुशलतापूर्वक निर्वहन किया- 1998 में पहली बार उन्होंने दरभंगा लोकसभा से भाकपा-माले के उम्मीदवार के बतौर चुनाव लड़ा।
साल 1999 में बाढ़ लोकसभा, 2000 में हिलसा विधानसभा, 2005 के दोनों विधानसभा चुनावों में मसौढ़ी, 2009 में नालंदा लोकसभा, 2010 में हिलसा विधानसभा और 2020 में महागठबंधन के प्रत्याशी के बतौर उन्होंने दीघा विधानसभा से चुनाव लड़ा। दीघा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में उन्होंने भाजपा उम्मीदवार को काफ़ी कड़ी टक्कर दी थी।
का- शशि यादव के नेतृत्व में राज्य में आशा कार्यकर्ताओं की सबसे सफल व चर्चित हड़ताल हुई- जिसकी वजह से सरकार को आशा कार्यकर्ताओं का मानदेय 2500 रु- तक करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
अपनी तेज पहलकदमियों के कारण वे जल्द ही आशाओं की सबसे मुखर आवाज बन गईं। आंगनबाड़ी आंदोलन में भी हाल के दिनों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। ममता कार्यकर्ताओं को संगठित करने का काम भी वे बखूबी कर रही हैं।
भाकपा-माले के 2013 में संपन्न रांची महाधिवेशन में वे पार्टी की केंद्रीय कमिटी की सदस्य चुनी गईं और विगत साल 2023 में संपन्न 11 वें महाधिवेशन में वे पोलित ब्यूरो की सदस्य चुनी गईं। विगत साल ही उनके नेतृत्व में स्कीक वर्करों का राष्ट्रीय सम्मेलन भी पटना में ही संगठित किया गया। उस सम्मेलन से शशि यादव ऑल इंडियाा स्कीम वर्कर्स फेडरेशन की राष्ट्रीय महासचिव चुनी गईं।