लव कुमार मिश्र
पटना: बिहार विधान सभा के लिए मुंगेर जिला के तारापुर और दरभंगा जिला के कुशेश्वर स्थान मै ३० अक्टूबर को होने वाले उपचुनाव मै लोक जनशक्ति पार्टी का बंगला चुनाव चिन्ह का उपयोग नहीं होगा ।
पूर्व केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान द्वारा एलजेपी के स्थापना काल से ही बंगला पार्टी का चुनाव चिन्ह और झंडा रहा है.। आज भारत के चुनाव आयोग ने बंगला चुनाव चिन्ह और झंडा के प्रयोग पर रोक लगा दी ।
अब एलजेपी को नया चुनाव चिन्ह खोजना पड़ेगा और इन उपचुनाव मै किसी निर्दलीय प्रत्याशी का चुनाव चिन्ह उपलब्ध होगा ।
12 जून को पासवान के छोटे भाई, केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस की तरफ से सूरज भान ने चुनाव आयोग मै पिटीशन देकर बंगला चुनाव चिन्ह पर पारस गुट का दावा किया था,वहीं 22 जून को पासवान के बेटे चिराग पासवान की तरफ से भी एक पिटीशन देकर बंगला पर चिराग गुट का दावा किया था ।
बिहार मैं होने वाले दो उप चुनाव के लिए 8 अक्टूबर तक नामांकन दाखिल किया जाएगा।दोनो जगह २०२० मै चुने गए जदयू विधायकों के निधन के कारण नियुक्ति को भरने के लिया किया जाना है ।
तारापुर से मेवालाल चौधरी और कुशेश्वर स्थान से शशिभूषण हजारी बीते चुनाव मै चुने गए थे
उल्लेखनीय है कि चाचा-भतीजे के बीच विवाद की शुरुआत लोजपा संस्थापक रामविलास पासवान के निधन के बाद ही हो गई थी. रामविलास पासवान के निधन के बाद पार्टी के प्रदर्शन से नाराज पांच सांसदों ने पशुपति पारस के नेतृत्व में बगावत कर दी थी. पारस गुट ने खुद को असली जनशक्ति पार्टी बताते हुए लोकसभा में स्पीकर से जगह मांगी थी, जिसको मंजूरी मिल गई थी. इसके साथ ही इस गुट का नेतृत्व करने वाले पशुपति पारस को केंद्रीय कैबिनेट में भी शामिल कर लिया गया था. वहीं चिराग भी लगातार उनके गुट को असली लोजपा बताते रहे हैं और चाचा को गलत ठहरा रहे हैं । .