दरभंगा हाउस के दिन मेरे जीवन के सबसे सुनहरे दिनों में थे : मंजरी श्रीवास्तव

बिहार ब्यूरो 

पटना, 10 जुलाई जानीमानी कवयित्री और लेखिका के.मंजरी श्रीवास्तव की किताब दरभंगा हाउस प्रकाशित हो गयी है। मंजरी श्रीवास्तव की किताब दरभंगा हाउस : कॉलेज बेमिसाल मेरे बेहतरीन साल, श्वेतवर्णा प्रकाशन के सौजन्य से प्रकाशित हो गयी है। के. मंजरी श्रीवास्तव लंबे समय से बतौर नाट्य विशेषज्ञ एनएसडी से जुड़ी कवि एवं नाट्यविद हैं। हिंदी कविता और नाट्य आलोचना/समीक्षा के क्षेत्र में सक्रिय मंजरी कई वर्षों से कालिदास सम्मान की चयन समिति की सदस्य हैं।उन्होंने दरभंगा हाउस से इतिहास में एम.ए. और पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा किया है। मंजरी कलावीथी नामक साहित्यिक सांस्कृतिक संस्था की संस्थापक भी हैं।

इस मौके पर के. मंजरी श्रीवास्तव ने कहा, “मेरी किताब ‘दरभंगा हाउस’ हालाँकि मेरा संस्मरण है, लेकिन यह हर उस इंसान को अपना संस्मरण लगेगा जो दरभंगा हाउस का विद्यार्थी रहा है। दरभंगा हाउस के दिन मेरे जीवन के सबसे सुनहरे दिनों में से एक थे। यह वे दिन थे जिन पर आज की मंजरी की नींव रखी जा रही थी। इसलिए आज 22 वर्षों बाद भी वे दिन मेरे ज़ेहन में यूं ही तरोताज़ा है और मुझे यक़ीन है कि जो भी दरभंगा हाउस के विद्यार्थी रहे हैं उनके जीवन में सबसे यादगार दिन दरभंगा हाउस वाले दिन ही रहे होंगे। मेरी यह किताब दरभंगा हाउस के हर विद्यार्थी को उसकी अपनी कहानी लगेगी यह मेरा विश्वास है।”

 

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