घायल होने के बाद भी आगे बढ़े और असम पुलिस का नाम किया रौशन

डॉ. सुरेन्द्र सागर

भोजपुर जिले के शाहपुर प्रखण्ड के परसौंड़ा गांव के लाल आनंद मिश्रा ने आईपीएस अधिकारी के रूप में कार्य करते हुए अपने साहसिक फैसलों से असम पुलिस का नाम राष्ट्रीय स्तर पर रौशन कर दिया है।आनन्द मिश्रा के कार्यों के बदौलत असम पुलिस को राष्ट्रपति रंग यानी राष्ट्रपति निशान से सम्मानित किया गया है।
बीते 10 मई को असम के गुवाहाटी में एक भव्य और शानदार समारोह का आयोजन कर भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद की तरफ से देश के गृह मंत्री अमित शाह ने असम पुलिस को इस सम्मान से सम्मानित किया है।
असम पुलिस ने इस सम्मान का जश्न मनाने को लेकर बाइक टीम गठित करते हुए पुलिस के झंडे को एक जिले से दूसरे जिले तक ले जाने और असम पुलिस के संदेश को जन जन तक पहुंचाने की कोशिश की और राष्ट्रपति रंग के महत्व को समझाने के लिए और असम को एक विकासशील एवं शांतिपूर्ण राज्य बनाने के लिए जन जागरूकता के कार्य को सफलता के साथ पूरा किया।
इस दौरान राष्ट्रपति के रंग समारोह के बारे में ग्राउंड जीरो पर आम जनमानस के साथ साथ असम पुलिस के जवानों को भी जानकारी दी गई और असम पुलिस की संवेदनशीलता और साहसिक कार्यों के बारे में सभी को जागरूक कर संदेश भी दिए गए।असम की जनता के साथ इस सम्मान को साझा भी किया गया।
असम पुलिस के सम्मान को असम की जनता के साथ साझा करने की खास बात यह रही कि भोजपुर के लाल और असम कैडर के आईपीएस अधिकारी आनन्द मिश्रा ने इस नौ सदस्यीय बाइक टीम का नेतृत्व किया।
असम पुलिस की इस मुहिम का नाम असम पुलिस राइड ऑफ प्राइड दिया गया।
इस राइड ऑफ़ प्राइड टीम ने असम पुलिस के झंडे को लगातार आठ दिनों तक कुल 27 जिलों से होते हुए 2000 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय की और ब्रह्मपुत्र घाटी के चारों ओर की यात्रा भी पूरी की।
सबसे पहले इस टीम की यात्रा गुवाहाटी से प्रारम्भ हुई जिसे असम के डीजीपी भाष्कर ज्योति महंत ने हरी झंडी दिखाकर धुबरी से आगे के लिए प्रस्थान कराया।
इस दौरान असम पुलिस राइड ऑफ प्राइड टीम ने हजारों जगह जमीनी संपर्क स्थापित किये और लाखों लाख लोगों से अपने आपको जोड़ा और जुड़कर संवाद स्थापित किया।
इसी दौरान भोजपुर के लाल और आईपीएस अधिकारी आनन्द मिश्रा ने टीम का नेतृत्व करते हुए असम के 25 जिलों की यात्रा पूरी करने के साथ हीं मिशन पूरा करने के अंतिम क्षण में नगांव जिले के निकट आवारा पशुओं के झुंड ने उनकी बाइक में टक्कर मार दी जिससे वे बाइक सहित एनएच 37 पर चल रहे एक ट्रक से टकरा गए।इस दुर्घटना में वे भीषण रूप से घायल हुए हैं और फिलहाल गुवाहाटी में उनका इलाज चल रहा है।
आनन्द मिश्रा को असम पुलिस का साहसी आईपीएस अधिकारी माना जाता है और यही वजह रहा कि भीषण सड़क दुर्घटना के बाद भी उन्होंने तब तक अस्पताल में अपना इलाज शुरू नही किया जबतक उन्होंने टीम का नेतृत्व करते हुए मिशन को पूरा किया।अंततः वे नगांव और मोरीगांव जिलों में आधिकारिक ध्वज कार्यक्रम को पूरा करने के आठ घण्टे बाद गुवाहाटी के जीएनआरसी अस्पताल पहुंचे जहां बेहोश होकर गिर पड़े और तीन दिनों तक बेहोश रहे।दस दिनों तक आईसीयू में रहे।अब उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है और चिकित्सको की निगरानी में उनका इलाज जारी है।
उनके पारिवारिक सूत्रों ने रविवार को बताया कि उनके इलाज के शुरुआती दौर में बाईं पसली में 2 फ्रैक्चर, एक फटी प्लीहा, गंभीर आंतरिक रक्तस्राव और फेफड़ों में घायल होने का पता चला था। चिकित्सक भी हैरान थे कि इतनी भीषण दुर्घटना के बावजूद आईपीएस अधिकारी जीवित कैसे थे।
भोजपुर के इस लाल से यहां के सामाजिक कार्यकर्ता,पत्रकार,छायाकार,राजनैतिक दलों से जुड़े युवा,स्वयंसेवी संगठनों से जुड़े कार्यकर्ताओ की एक लंबी फौज जुड़ी हुई है और समय समय पर भोजपुर आगमन पर ऐसे लोग आनन्द मिश्रा का भव्य स्वागत करते रहे हैं।आनन्द मिश्रा भी ऐसे लोगों को समय समय पर असम बुलाकर वहां के धार्मिक,सांस्कृतिक,पर्यटन और खूबसूरत वादियों की सैर कराते रहे हैं।एक तरह से अपने जिले के युवाओ के साथ उनका भावनात्मक जुड़ाव बहुत ही गहरा है।जिले के युवाओं ने उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की है।
इन सबके बीच असम के सहायक पुलिस महानिरीक्षक आनन्द मिश्रा ने असम में जो साहस और कर्तव्यनिष्ठा का परिचय दिया है वह न सिर्फ भोजपुर और असम बल्कि पूरे देश के लिए उदाहरण बन गया है।

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