राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पचहत्तरवें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को किया संबोधित
सुभाष निगम
नयी दिल्ली : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि पचहत्तरवें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा , मैं आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं देती हूं. जब मैं पीछे मुड़कर यह देखती हूं कि विपरीत परिस्थितियों के बावजूद हमने कितनी लंबी यात्रा की है, तब मेरा हृदय गर्व से भर जाता है । उन्होंने कहा कि हमारे गणतंत्र की मूल भावना से एकजुट होकर 140 करोड़ से अधिक भारतवासी एक कुटुंब के रूप में रहते हैं । दुनिया के सबसे बड़े इस कुटुंब के लिए, सह-अस्तित्व की भावना, भूगोल द्वारा थोपा गया बोझ नहीं है, बल्कि सामूहिक उल्लास का सहज स्रोत है, जो हमारे गणतंत्र दिवस के उत्सव में अभिव्यक्त होता है । प्रेसिडेंट मुर्मू ने कहा कि इस सप्ताह के आरंभ में हम सबने अयोध्या में प्रभु श्रीराम के जन्मस्थान पर निर्मित भव्य मंदिर में स्थापित मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का ऐतिहासिक समारोह देखा । भविष्य में जब इस घटना को व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखा जाएगा, तब इतिहासकार, भारत द्वारा अपनी सभ्यतागत विरासत की निरंतर खोज में युगांतरकारी आयोजन के रूप में इसका विवेचन करेंगे । उन्होंने कहा कि उचित न्यायिक प्रक्रिया और देश के उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद मंदिर का निर्माण कार्य आरंभ हुआ । अब यह एक भव्य संरचना के रूप में शोभायमान है । यह मंदिर न केवल जन-जन की आस्था को व्यक्त करता है बल्कि न्यायिक प्रक्रिया में हमारे देशवासियों की अगाध आस्था का प्रमाण भी है ।
गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर संविधान, खेल, इसरो और लोकतंत्र सहित कई बातों का जिक्र कर राष्ट्रपति ने कहा कि मुझे देश पर गर्व पर हो रहा है । उन्होंने कहा कि हमारे गणतंत्र का पचहत्तरवां वर्ष, कई अर्थों में, देश की यात्रा में एक ऐतिहासिक पड़ाव है । प्रेसिडेंट द्रौपदी मुर्मू ने खिलाड़ियों की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर देश को गौरवांवित किया है । उन्होंने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हमारे खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का मान बढ़ाया है । पिछले साल आयोजित एशियाई खेलों में हमने 107 पदक के नए कीर्तिमान के साथ इतिहास रचा और एशियाई पैरा खेलों में हमने 111 पदक जीते.’’।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि कल के दिन हम संविधान के प्रारंभ का उत्सव मनाएंगे. संविधान की प्रस्तावना “हम, भारत के लोग”, इन शब्दों से शुरू होती है ’। ये शब्द, हमारे संविधान के मूल भाव अर्थात् लोकतंत्र को रेखांकित करते हैं । भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था, लोकतंत्र की पश्चिमी अवधारणा से कहीं अधिक प्राचीन है. इसीलिए भारत को “लोकतंत्र की जननी” कहा जाता है । उन्होंने कहा, ”एक लंबे और कठिन संघर्ष के बाद 15 अगस्त, 1947 को हमारा देश विदेशी शासन से मुक्त हो गया, लेकिन उस समय भी देश में सुशासन तथा देशवासियों में निहित क्षमताओं और प्रतिभाओं को उन्मुक्त विस्तार देने के लिए, उपयुक्त मूलभूत सिद्धांतों और प्रक्रियाओं को स्वरूप प्रदान करने का कार्य चल ही रहा था । संविधान सभा ने सुशासन के सभी पहलुओं पर लगभग तीन वर्ष तक विस्तृत चर्चा की और हमारे राष्ट्र के महान आधारभूत ग्रंथ, यानी भारत के संविधान की रचना की.”।
उन्होंने आगे कहा कि हमारे लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक नागरिक का योगदान, महत्वपूर्ण होगा. इसके लिए मैं सभी देशवासियों से संविधान में निहित हमारे मूल कर्तव्यों का पालन करने का अनुरोध करूंगी. । ये कर्तव्य, आजादी के 100 वर्ष पूरे होने तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में, प्रत्येक नागरिक के आवश्यक दायित्व हैं । इस संदर्भ में मुझे महात्मा गांधी का स्मरण होता है. बापू ने ठीक ही कहा था, “जिसने केवल अधिकारों को चाहा है, ऐसी कोई भी प्रजा उन्नति नहीं कर सकी है. केवल वही प्रजा उन्नति कर सकी है जिसने कर्तव्य का धार्मिक रूप से पालन किया है ।
प्रेसिडेंट मुर्मू ने कहा कि गणतंत्र दिवस, हमारे आधारभूत मूल्यों और सिद्धांतों को स्मरण करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है. जब हम, उनमें से किसी एक बुनियादी सिद्धान्त पर चिंतन करते हैं तो स्वाभाविक रूप से अन्य सभी सिद्धांतों पर भी हमारा ध्यान जाता है. संस्कृति, मान्यताओं और परम्पराओं की विविधता, हमारे लोकतंत्र का अंतर्निहित आयाम है ।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि मैं यह उल्लेख करना चाहूंगी कि सामाजिक न्याय के लिए अनवरत युद्धरत रहे कर्पूरी ठाकुर की जन्म शताब्दी का उत्सव कल ही संपन्न हुआ है । कर्पूरी पिछड़े वर्गों के सबसे महान पक्षकारों में से एक थे जिन्होंने अपना सारा जीवन उनके कल्याण के लिए समर्पित कर दिया था । उनका जीवन एक संदेश था. अपने योगदान से सार्वजनिक जीवन को समृद्ध बनाने के लिए, मैं कर्पूरी जी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं ।
प्रेसिडेंट द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि हमारे राष्ट्रीय त्योहार ऐसे महत्वपूर्ण अवसर होते हैं जब हम अतीत पर भी दृष्टिपात करते हैं और भविष्य की ओर भी देखते हैं. पिछले गणतंत्र दिवस के बाद के एक वर्ष पर नजर डालें तो हमें बहुत प्रसन्नता होती है. भारत की अध्यक्षता में दिल्ली में G20 शिखर सम्मेलन का सफल आयोजन एक अभूतपूर्व उपलब्धि थी.
उन्होंने आगे कहा कि G20 से जुड़े आयोजनों में जन-सामान्य की भागीदारी विशेष रूप से उल्लेखनीय है. इन आयोजनों में विचारों और सुझावों का प्रवाह ऊपर से नीचे की ओर नहीं बल्कि नीचे से ऊपर की ओर था. उस भव्य आयोजन से यह सीख भी मिली है कि सामान्य नागरिकों को भी ऐसे गहन तथा अंतर-राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे में भागीदार बनाया जा सकता है जिसका प्रभाव अंततः उनके अपने भविष्य पर पड़ता है. G20 शिखर सम्मेलन के माध्यम से Global South की आवाज के रूप में भारत के अभ्युदय को भी बढ़ावा मिला, जिससे अंतर-राष्ट्रीय संवाद की प्रक्रिया में एक आवश्यक तत्व का समावेश हुआ ।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि इसी अवधि में भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के क्षेत्र पर उतरने वाला पहला देश बना. चंद्रयान-3 के बाद इसरो ने एक सौर मिशन भी शुरू किया । हाल ही में आदित्य L1 को सफलतापूर्वक ‘Halo Orbit’ में स्थापित किया गया है । भारत ने अपने पहले एक्स-रे Polarimeter Satellite, जिसे एक्सपोसैट कहा जाता है, के प्रक्षेपण के साथ नए साल की शुरुआत की है. यह सैटेलाइट, अंतरिक्ष के ‘ब्लैक होल’ जैसे रहस्यों का अध्ययन करेगा ।