26 अगस्त : विश्व महिला समानता दिवस पर सभी महिलाओं को हार्दिक शुभकामनाएं

रेखा सिंह 

(राष्ट्रीय अध्यक्ष,महिला प्रकोष्ठ”टीएम सपोर्टर एसोसिएशन”)

भारत के संविधान में महिलाओं को पुरुषों की तरह ही अधिकार हैं लेकिन वास्तविकता में महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए हर जगह लड़ाई लड़नी पड़ती है। आज 26 अगस्त को विश्व महिला समानता दिवस है जिसकी महत्ता महिलाओं के लिए अधिक है । इस मौके पर सभी महिलाओं को हार्दिक शुभकामनाएं हैं । 

लड़कियों के पैदा होने पर बहुत से घरों में वह खुशी नही दिखाई देती जो कि लड़का होने पर दिखती है । और न ही लड़कियों को उनकी मनपसंद कॅरियर चुनने की ही आज़ादी है जबकि बेटे जैसी शिक्षा और सम्मान बेटियों को भी मिलना चाहिए। भले ही कानून में महिला पुरुष का भेद नहीं है परन्तु समाज की मानसिकता शुद्ध नही है।
जब कि परस्पर सामंजस्य व समन्वय से इस समस्या का समाधान हो सकता है। यह पहल घर से ही होनी चाहिए और पुरुषों को अपनी पुरानी मानसिकता को बदलना होगा और प्रगतिशील विचारों को अपनाना होगा।
महिलाओं को समानता तक जाने का सफर अभी काफी तय करना है लेकिन अगर महिला खुद ठान ले तो यह असंभव नही है।लिंग के आधार पर भेदभाव की शुरुआत घर से ही शुरू होती है, इसलिए हमें बेटों के साथ साथ बेटियों को भी उनकी स्वतंत्रता के साथ जीने के अधिकार की रक्षा करनी होगी। असमानता का भेद हम खुद पैदा करते हैं जन्म के साथ ही बेटी पराया धन और बेटा वंश नेतृत्व करेगा।इसलिए सबसे पहले विचारों में बदलाव जरूरी है।

लैंगिक समानता का अर्थ है कि सबके साथ समान व्यवहार हो,सफलता समान हो,कर्त्तव्य और अधिकार समान हों। कानूनी रूप से मिले हुए वह सभी अधिकार सहजता से महिला कोभी मिलें जो पुरुषों को मिले हैं। लेकिन समाज द्वारा उनमें भेदभाव किया जाता है। अवसरों में तथा सामाजिक तौर पर सभी को एक समान दृष्टि से देखना जरूरी है।शिक्षा के द्वारा ही असमानता को खत्म किया जा सकता है। महिला समानता तभी मुमकिन है जब हम अपने घर से ही बदलाव करें। कुछ लोगों की विचार धारा के कारण ही महज़ नारा बनकर रह गया है महिला समानता!!

जब महिलाओं को आधी आबादी का दर्जा मिला हुआ है और जब आप आधी आबादी हैं तो मुख्य ही हैं, हमारी अपनी एक पहचान और हैसियत होनी चाहिए।हमारा संगठन “टीएम सपोर्टर एसोसिएशन”महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा और निर्णय लेने की उनकी स्वतंत्रता के प्रति प्रतिबद्ध है।

“टीएम सपोर्टर एसोसिएशन” की राष्ट्रीय अध्यक्ष (महिला प्रकोष्ठ) रेखा सिंह कहती हैं कि हमें सीख लेनी चाहिए उन देशों से जहां कोई लिंगभेद नही है।
आइसलैंड,फिनलैंड और नॉर्वे महिला समानता के अधिकार को बहुत महत्व देते हैं और इन देशों में खुशहाली का प्रतिशत काफी ऊंचा है।

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